मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह अपने भूभाग विस्तार की महत्वाकांक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति एवं बाल मंच का दुरुपयोग कर रहा है, और भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल राजकीय नीति के औजार के रूप में कर रहा है।
वरिष्ठ भारतीय राजनयिक श्रीनिवास प्रसाद ने गुरुवार को बच्चों पर केंद्रित 'कल्चर ऑफ पीस' (शांति की संस्कृति) विषय पर एक उच्चस्तरीय बहस के दौरान पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाने के जवाब में कहा, "यह विडंबना है कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान जो आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह और आतंकवाद को हथियार के रूप में प्रयोग करने के लिए मशहूर है, उसने न्याय और आत्मनिर्णय का राग अलापते हुए भारतीय भूभाग को हासिल करने के लालच में एक बार फिर से इस मंच का इस्तेमाल किया है।"
प्रसाद ने कहा, "मैं अपने पड़ोसी को याद दिला दूं कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। समय आ गया है, जब पाकिस्तान को भी यह समझ लेना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "शांति की संस्कृति केवल व्यापक स्तर पर शांति का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि अंतर-राजकीय संबंधों के मामले में यह अच्छे पड़ोसी धर्म, परस्पर सम्मान और गैर-हस्तक्षेप के मूल्यों की द्योतक भी है।"
चर्चा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पीटर थॉमसन ने की। उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हमें दुनिया को शांति का असली संदेश देना है, तो इसकी शुरुआत हमें बच्चों से करनी होगी।"
बच्चों पर केंद्रित सत्र की शुरुआत के बीच में ही टोकते हुए लोधी ने कहा, "भारत द्वारा अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर के हालात अंतर्राष्ट्रीय कानून, न्याय और मानवता के सिद्धांतों का हनन है।"
उन्होंने भारतीय राज्य कश्मीर की स्थिति की तुलना फिलिस्तीन से करते हुए कहा कि ये "ऐसे लंबित मामले हैं, जहां लोगों को आज भी आत्मनिर्णय का बुनियादी अधिकार प्राप्त नहीं है।"
प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "एक लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत हमेशा देश की जनता की इच्छा का सम्मान करता है और वह आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा इसका हनन नहीं होने देगा।"
उन्होंने कहा, "दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक भारत महान आध्यात्मिक गुरुओं और विचारकों का गढ़ रहा है, जिन्होंने सदियों से दुनियाभर में शांति की संस्कृति के संदेश का प्रसार किया है।"
उन्होंने कहा, "वेदों की ऋचाओं से लेकर भगवान बुद्ध और गांधी के संदेशों तक भारतीय सभ्यता ने हमेशा शांति की संस्कृति का संदेश दिया है।"
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