मल्हार मीडिया भोपाल।
विगत दिनों यह खबरें आ रही थीं कि एक मई से पूरे देश में सैटेलाइट बेस्ट टोल सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा लेकिन अब इस खबर पर सरकार का जवाब सामने आया है।
सरकार की ओर से इस खबर का खंडन करते हुए कहा गया है कि इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया है।
सरकार ने इसका स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि पूरे देश में एक मई से ऐसा कोई नियम लागू नहीं हो रहा है कि सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम से काम होगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि एक मई से देश भर में उपग्रह आधारित टोल प्रणाली लागू करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
मंत्रालय ने मीडिया में आ रही उन खबरों के बाद यह स्पष्टीकरण दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि एक मई 2025 से उपग्रह आधारित टोल प्रणाली शुरू की जाएगी और यह मौजूदा फास्टैग आधारित टोल संग्रह प्रणाली की जगह लेगी।
मंत्रालय ने बयान में कहा, टोल प्लाजा के माध्यम से वाहनों की निर्बाध, बाधा मुक्त आवाजाही को सक्षम करने और यात्रा के समय को कम करने के लिए चयनित टोल प्लाजा पर ‘स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर)-फास्टैग-आधारित बाधा रहित टोलिंग प्रणाली’ तैनात की जाएगी।
बयान के अनुसार, उन्नत टोल प्रणाली में एएनपीआर प्रौद्योगिकी जो वाहनों की नंबर प्लेट पढ़कर उनकी पहचान करेगी तथा मौजूदा ‘फास्टैग प्रणाली’ जो टोल कटौती के लिए रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) का उपयोग करती है...उसका संयोजन किया जाएगा।
इसके तहत, वाहनों से उनके टोल प्लाजा पर रुके बिना उच्च प्रदर्शन वाले एएनपीआर कैमरा और फास्टैग रीडर के माध्यम से उनकी पहचान के आधार पर शुल्क लिया जाएगा।
नियमों का पालन न करने की स्थिति में उल्लंघनकर्ताओं को ई-नोटिस जारी किया जाएगा, जिसका भुगतान न करने पर फास्टैग निलंबित किया जा सकता है और ‘वाहन’ से संबंधित अन्य दंड लगाया जा सकता है।
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