मल्हार मीडिया ब्यूरो।
संकट में फंसे कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय उनके खिलाफ इसी महीने आरोप तय करने के लिए तैयार है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी पाया है और उन्हें 10 जुलाई को अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया, जब इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी इस महीने के अंत तक अपना आरोप पत्र दायर करेगी। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय सबूत भी पेश करेगा कि माल्या ने आईडीबीआई से लिए गए 900 करोड़ रुपये के ऋण को किस प्रकार निजी खर्च के लिए हस्तांतरित कर दिया। माल्या पर इस रकम के हस्तांतरण से पट्टे पर विमान लेने और समूह की कंपनियों वाटसन लिमिटेड एवं फोर्स इंडिया को रकम हस्तांतरित करने का आरोप है।
अभियोजन की ओर से इस मामले में भारी-भरकम दस्तावेज दायर किए जाने की उम्मीद है जिसमें ऋण की रकम उपरोक्त कंपनियों को आवंटित करने का खुलासा किया जाएगा। प्रवर्तन निदेशालय की जांच से पता चला है कि करीब 40 फीसदी रकम विदेश हस्तांतरित की गई जो करीब 400 करोड़ रुपये है। प्रवर्तन निदेशालय अभियोजन दस्तावेज को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है ताकि वह उसे वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश कर सके जहां माल्या के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार का मुकदमा चल रहा है। आरोप पत्र दायर होने से यह मामला कहीं अधिक मजबूत और सख्त हो जाएगा। प्रवर्तन निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अभियोजन से हमारे मुकदमे को काफी बल मिलेगा। पहली याचिका पूरी तरह आईडीबीआई बैंक के ऋण और रकम हस्तांतरण मामले से जुड़ी होगी।'
इस मामले में अब तक 9,661 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति जब्त कर चुका है। न्यायालय की अवमानना मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा। बैंकों का कंसोर्टियम किंगफिशर एयरलाइंस एवं माल्या के स्वामित्व वाली अन्य कारोबारी इकाइयों से 9,000 करोड़ रुपये के ऋण के पुनभुर्गतान की मांग कर रहा है।
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