मल्हार मीडिया ब्यूरो इंदौर।
मध्यप्रदेश के खातेगांव के जामनेर रहवासी इब्राहिम खां अपने 8 साल के बीमार बच्चे को लेकर एक जिले से दूसरे जिले तक भटकते रहे मगर उसकी जान नहीं बचा पाए। पहली बार में ही यह मामला स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मौत का है।
हरदा के डॉक्टर ने जहां इस बच्चे की मौत को चमकी बुखार को जिम्मेदार बताया वहीं एमवाय इंदौर के डॉक्टरों ने ऐसा मानने से इनकार कर दिया।
अगर इस बच्चे को समय पर इलाज मिल जाता तो संभवत: वह जिंदा होता।
मध्यप्रदेश में चमकी बुखार ने दस्तक दे दी है। ऐसा माना जा रहा है कि खातेगांव के समीप जामनगर में जिस 8 वर्षीय बच्चे की मौत हुई है वह चमकी बुखार के कारण हुई है।
बताया जा रहा है इब्राहिम खां के पुत्र असलम नामक बच्चे की मौत इंदौर के एमवाय अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। बच्चे में चमकी बुखार के लक्षण होने की सम्भावना जताई जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बच्चे का परिवार बेहद गरीब है, जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए भटकना पड़ा।
बताया जा रहा है कि बच्चे को शुक्रवार देर रात तेज बुखार आया। परिवार ने गांव के ही बंगाली डॉक्टर से इसका इलाज करवाया लेकिन रात में बुखार नहीं उतरा और उल्टियां शुरू हो गई। शनिवार सुबह परिजन बालक को खातेगांव सरकारी अस्पताल लेकर आए। बच्चा लगभग बेहोशी की हालत में था।
डॉक्टर चंपा बघेल ने उसे प्राथमिक उपचार देकर हरदा रैफर कर दिया। हरदा जिला अस्पताल में बालक को एडमिट ही नहीं किया गया, डॉक्टरों ने कहा मामला गंभीर है, इसका इलाज यहां संभव नहीं है।
आप इसे किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में या इंदौर ले जाओ। परिजन ने हरदा के पल्स हॉस्पिटल में दिखाया। बच्चे के लक्षण देखते हुए डॉक्टर्स को यह चमकी बुखार लग रहा था। बच्चे की खून की जांचें करवाई गईं।
इसमें प्लेटलेट्स कॉफी कम मात्रा में थे। कुछ घंटे इलाज करने के बाद वेंटिलेटर और जरूरी अन्य मशीनों की सुविधा नहीं होने के कारण यहां भी डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर इंदौर ले जाने की सलाह दी।
जिसके बाद रुपए खत्म होने पर वह घर लौट आए तो ग्रामीणों ने रुपए इकठ्ठे कर परिजनों को इंदौर भेजा। इसके बाद बच्चे को इंदौर के एमवाय में भर्ती किया गया। लेकिन बच्चे की मौत हो गई। डॉक्टरों ने अभी चमकी बुखार की पुष्टि नहीं की है।
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