मल्हार मीडिया ब्यूरो।
दरअसल रायबरेली की ऊंचाहार सीट से तीन बार के विधायक डॉ. मनोज पांडेय ने गत दिनों संपन्न राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोट किया था। सपा ने इसकी आलोचना तो की, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पांडेय ने अपने बेटे को भाजपा की सदस्यता दिला दी और खुद पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद करने लगे।
बताया जाता है कि रायबरेली व अमेठी लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण मतों की लामबंदी में जुटे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस तरह की मदद से अपेक्षित नतीजे को लेकर संतुष्ट नजर नहीं आए। गत दिनों रायबरेली जनसभा करने पहुंचे शाह ने पांडेय के घर पहुंचकर पर्दे के पीछे की सियासत को सार्वजनिक कर दिया।
शुक्रवार को शाह ने दोबारा रायबरेली पहुंचकर एक बड़ी जनसभा में पांडेय को भाजपा की सदस्यता भी दिला दी। भाजपा की सार्वजनिक रूप से विधिवत सदस्यता लेने के बाद पांडेय की सपा में रहकर जीती गई विधानसभा सीट की सदस्यता पर सवाल उठना शुरू हो गया है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मनोज को धोखेबाज करार दिया है। उधर, सपा ने बिना पार्टी से इस्तीफा दिए भाजपा की सदस्यता लेने पर मनोज की नैतिकता पर सवाल उठाया है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा है सपा अब उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही के कदम उठाएगी। उधर, मनोज पांडेय से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने इस संबंध में सीधा जवाब न देते हुए सिर्फ इतना कहा कि- मैं राम का था, राम की शरण में आ गया हूं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र के आचार्य और संविधान के जानकार प्रो. आनंद विश्वकर्मा कहते हैं कि दलबदल कानून के तहत किसी राजनैतिक दल के 10 फीसदी से कम जनप्रतिनिधि अपनी मूल पार्टी छोड़कर दूसरे दल की सदस्यता ग्रहण कर लेते हैं तो उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है। लेकिन, इस मामले में मनोज पांडेय की सदस्यता रद कराने के लिए समाजवादी पार्टी को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रत्यावेदन देना होगा।
उनके प्रत्यावेदन पर विधानसभा अध्यक्ष फैसला करेंगे। अगर पार्टी की ओर से इसका प्रत्यावेदन नहीं दिया जाता है तो फिर माना जाएगा कि उसने इन्हें माफ कर दिया है और मनोज पांडेय की सदस्यता कायम रहेगी।
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