धार से स्वप्निल शर्मा।
मध्यप्रदेश के धार के मनावर में सरकार के एक आदेश ने लोगों के घर के सपने को तोड़ दिया और वे रातों—रात पात्र से अपात्र हो गये। शर्त भी कुछ ऐसी हैं कि गले उतरने लायक नहीं हैं। मसलन यदि घर में फ्रिज, लैण्डलाइन फोन, क्रेडिट कार्ड, दोपहिया-चौपहिया वाहन, कृषि उपकरण, परिवार में कोई सदस्य सरकारी कर्मचारी, दस हजार रूपये प्रतिमाह की कमाई, ढाई एकड़ सिंचित भूमि में से एक भी कारण पाया जाता है तो वह अपात्र हो जाएगा।
बड़े जोर शोर से सी.एम. तथा केन्द्रीय मंत्रियों ने मध्यप्रदेश के धार जिले के मनावर में प्रदेश की प्रधानमंत्री आवास योजना का दिसंबर 2016 में शुभारंभ किया था। सरपंच तथा पंचायत सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी गई कि हितग्राहियों का चयन कर उन्हें आवास देकर लाभान्वित किया जाए। हितग्राहियों के खाते में प्रथम किश्त जमा होते ही उन्होंने कच्चे पक्के मकान तोड़कर निर्माण भी प्रारंभ करा दिया। अब अचानक शासन ने नए पात्रता निर्देश जारी कर दिए हैं, जिससे रातों—रात पात्र हितग्राही अपात्र हो गए।
एक तरफ भीषण गर्मी तो दूसरी तरफ उन्हें मिली प्रथम किश्त वापस जमा करने का आदेश आते ही प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों में हड़कंप मच गया। इतना ही नहीं हितग्राहियों का चयन करने वाले सरपंच सचिवों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश से जिले की ग्राम पंचायतें सकते में हैं। आश्चर्य है कि सरपंच सचिवों ने हितग्राही का चयन करने के बाद उसे वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा सत्यापन किये जाने के बाद ही हितग्राही को पात्र माना था। फिर उक्त वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?
प्रधानमंत्री के नाम की यह आवास योजना जिसे गत नवंबर में आगरा में लांच किया गया था, एक बेहद महत्वाकांक्षी योजना थी। इस योजना का लक्ष्य ही यह था कि कोई भी व्यक्ति बिना आवास के न रहे। लेकिन भ्रष्ट नौकरशाही ने बंद कमरे में बैठकर मनमर्जी के नियमों तहत इसे तत्काल लागू कर दिया। जब पात्र माने गए हितग्राहियों ने इस योजना में अपने पुराने घर तोड़कर नए निर्माण शुरू किए तो अब इसी नौकरशाही ने नया तुगलकी फर्मान जारी किया है।
इस आदेश के तहत पक्के मकानों में रहने वालों का बहिर्गमन जिसमें पक्की छत-दीवारों में रहने वाले सभी परिवार तथा दो से अधिक कमरों में रहने वाले परिवारों को इस योजना से बाहर किया जाए। दूसरे चरण के तेरह नियमों में से एक में भी यदि पात्र व्यक्ति आता है तो वह स्वतः ही बाहर माना जाएगा। यदि घर में फ्रिज, लैण्डलाइन फोन, क्रेडिट कार्ड, दोपहिया-चैपहिया वाहन, कृषि उपकरण, परिवार में कोई सदस्य सरकारी कर्मचारी, दस हजार रूपये प्रतिमाह की कमाई, ढाई एकड़ सिंचित भूमि में से एक भी कारण पाया जाता है तो वह अपात्र हो जाएगा। सवाल यह है कि पहले किस आधार पर हितग्राही को पात्र बनाया गया था।
अपने तथा मिलने-जुलने वाले, जनप्रतिनिधियों की सिफारिश वाले जैसों को क्यों पात्र बनाया गया। उन्हें प्रथम किश्त के रूप में उनके खाते में बीस-बीस हजार जमा भी करा दिए। अब ऐसे लोगों से जो अपात्र माने जा रहे है उनसे दी गई किश्त कैसे वसुन करेंगे। पात्र हितग्राही बनाने के लिए जिन-जिन ने हस्ताक्षर किए थे उन्हें कैसे दंडित करेंगे। ग्राम पंचायत की अनुशंसा, जनपद पंचायत की अनुशंसा तथा नगर पालिका की अनुशंसा करने वालों पर किस प्रकार की कार्रवाई की जाएगी। दरअसल यह सारा खेल एक महती योजना को जल्दबाजी में लागू करने के नाम पर खेला गया है।
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