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मप्र - राज्य के बड़े हिस्से में जलसंकट और सूखे के आसार

राज्य            Aug 31, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

मध्यप्रदेश में एक तरफ जहां औसत से लगभग 140 मिलीमीटर कम बारिश हुई है, वहीं अधिकांश बांध भी अपने उच्चतम जलस्तर से नीचे है। इसके चलते राज्य के बड़े हिस्से में जलसंकट और सूखे के आसार नजर आने लगे हैं। आधिकारिक तौर पर जारी आंकड़ों के आधार पर बारिश की स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि एक जून से 30 अगस्त तक राज्य में 606.3 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य तौर पर औसत बारिश 746.2 मिमी होती है। राज्य के 51 जिलों में से 27 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है।

आधिकारिक ब्यौरे के अनुसार, राज्य के दो जिलों रतलाम व खंडवा में सामान्य से 20 प्रतिशत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश के 22 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य बारिश दर्ज हुई है। कम वर्षा वाले जिलों की संख्या 27 है।

राज्य के 22 जिले- कटनी, पन्ना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, सतना, अनूपपुर, इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, गुना, सीहोर, राजगढ़ और होशंगाबाद ऐसे हैं, जहां बारिश सामान्य औसत की रही है।

वहीं, जबलपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, शहडोल, उमरिया, देवास, शाजापुर, मुरैना, श्योपुर, भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, भोपाल, रायसेन, विदिशा, हरदा और बैतूल सहित 27 जिले ऐसे हैं, जहां बारिश औसत से कम हुई है।

बारिश कम होने के कारण ही राज्य के प्रमुख 17 बांधों का जलस्तर उच्चतम स्तर से तीन से 15 क्यूबिक मीटर तक नीचे है।

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में अभी इतनी बारिश नहीं हुई है कि किसान पानी को लेकर निश्चिंत हो सकें। बारिश न होने से खेतों की मिट्टी को पर्याप्त नमी नहीं मिल पा रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो राज्य के बड़े हिस्से में अच्छी पैदावार की उम्मीद करना बेमानी हो जाएगा।



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