मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश सरकार ने आज चल—अचल संपत्ति के मामले में प्रदेश की जनता के लिए कई अहम घोषणाएं कीं। राज्य में पहली बार कलेक्टर गाइड लाइन को 20 प्रतिशत घटाने का फैसला किया गया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबीनेट बैठक में लिया गया है।
सरकार का मानना है कि इससे प्रॉपर्टी बिकेंगी तो मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर में बूम आएगा और सरकार के खजाने में राजस्व भी आएगा।
उधर, रजिस्ट्री पर शुल्क 2.2 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, इसका असर आम आदमी पर उतना नहीं पड़ेगा क्योंकि कलेक्टर गाइडलाइन कम होने से प्रॉपर्टी के दाम कम होंगे और उस पर ही रजिस्ट्री होगी।
पत्नी या पुत्री को संपत्ति में सह-स्वामी बनाने पर 1.8 प्रतिशत की जगह अब सिर्फ 1100 रुपए की स्टांप ड्यूटी और पंजीयन फीस लगेगी।
इन सभी का तर्क था कि कलेक्टर गाइड लाइन पूरी तरह अव्यावहारिक है। इसकी वजह से प्रॉपर्टियां नहीं बिक रही थी और गोरखधंधे भी शुरू हो गए थे। रजिस्ट्री न कराकर पॉवर ऑफ एटर्नी से काम चलाया जा रहा था।
क्रेता और विक्रेता, दोनों पर आयकर की मार भी पड़ रही थी। कलेक्टर गाइड लाइन अधिक होने से प्रॉपर्टी बिकने पर विक्रेता पर केपिटल गेन टैक्स लग रहा था तो क्रेता को स्टांप ड्यूटी अधिक चुकानी पड़ती थी। गाइड लाइन कम होने से रेट कम होंगे और पंजीयन अधिक होगा। इससे बाजार में पैसा भी आएगा, जो अर्थव्यवस्था को गति देने का काम करेगा।
उधर, सरकार को इस निर्णय से राजस्व का नुकसान भी न हो इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में रजिस्ट्री पर शुल्क 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 9.5 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 10.3 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया है। वहीं, गाइड लाइन के ऊपर प्रॉपर्टी पर यह शुल्क ग्रामीण क्षेत्र में 2.1 और शहरों में 5.1 प्रतिशत अधिक रहेगा। हालांकि, आम आदमी पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि गाइड लाइन 20 प्रतिशत कम जाएगी।
संपत्ति में यदि पत्नी व पुत्री का नाम सह स्वामी के तौर पर शामिल करना है तो अब सिर्फ 1100 रुपए चुकाने होंगे। अभी ऐसा करने के लिए एक प्रतिशत स्टांप शुल्क और 0.80 फीसदी पंजीयन फीस लगती थी। इसकी वजह से ज्यादातर संपत्तियों में इनके नाम दर्ज नहीं होते थे। सरकार ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए अब स्टांप शुल्क 1000 और पंजीयन फीस 100 रुपए तय कर दी है।
प्रदेश में अभी संपत्ति का बंटवारा होने पर आमतौर पर लोग लिखा-पढ़ी नहीं कराते थे। इसकी वजह ढाई प्रतिशत लगने वाली स्टांप फीस है। इसके कारण सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। इसे देखते हुए अब परिवार में आंतरिक बंटवारे के लिए स्टाम्प फीस सिर्फ आधा प्रतिशत (0.50) कर दी है। उम्मीद है कि इससे राजस्व आय बढ़ेगी। बंटवारे के मामलों में भी स्टांप शुल्क ढाई प्रतिशत होने से लिखा-पढ़ी नहीं कराई जाती थी। इसे अब मात्र .50 प्रतिशत कर दिया है। इससे पंजीयन बढ़ेंगे।
परिवार के बीच चल संपत्ति का दान होने पर इसकी रजिस्ट्री आमतौर पर नहीं कराई जाती है। इसकी एक वजह 2.5 प्रतिशत स्टांप शुल्क और एक प्रतिशत पंजीयन फीस भी है। इसे देखते हुए अब तय किया है कि स्टांप शुल्क 500 रुपए की अधिकतम सीमा के साथ एक प्रतिशत और पंजीयन शुल्क सौ रुपए अधिकतम सीमा के साथ .8 प्रतिशत किया है। कुल 600 रुपए अदा करके परिवार के भीतर दान की संपत्ति के दस्तावेज का पंजीयन हो जाएगा।
अभी कॉलोनाइजर या भवन निर्माता स्टांप शुल्क बचाने के लिए सिर्फ जमीन की रजिस्ट्री करा लेते थे। जबकि, जमीन पर बनने वाले मकान के लिए अलग करार कर लेते थे। इसके कारण सरकार को सिर्फ जमीन की रजिस्ट्री का पैसा मिल पाता था और खजाने को राजस्व का नुकसान होता था। इसे देखते हुए तय किया है कि स्टांप शुल्क और पंजीयन फीस बेचे गए भूखंड के साथ-साथ निर्मित संपत्ति को जोड़कर लगेगा।
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