मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से प्रभावित होने वाले परिवारों का पुनर्वास नहीं किए जाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने गुरुवार से नर्मदा तट पर स्थित राजघाट पर बेमियादी अनशन शुरू कर दिया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता राहुल ने बताया कि सुबह चार बजे से ही राजघाट और उसके आसपास पुलिस बल की भारी तैनाती की गई थी। जब कार्यकर्ता वहां जा रहे थे, तो उन्हें पुलिस ने रोक दिया। बाद में कुछ घंटे रोके रखने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। दोपहर 12 बजे से मेधा पाटकर अपने साथियों के साथ राजघाट स्थल पर अनशन शुरू कर चुकी हैं।
दरअसल, नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि बांध की ऊंचाई बढ़ाने से पहले, 31 जुलाई तक डूब क्षेत्र में आने वाले गांव के निवासियों का पुनर्वास किया जाए।
मेधा का आरोप है कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के निवासियों को सरकार और प्रशासन की ओर से मकान खाली करने का दबाव दिया जा रहा है। पुनर्वास स्थल के नाम पर सिर्फ टिन शेड लगा दिए गए हैं। वहां सुविधाओं का अभाव है, लोग कैसे रहेंगे।
उन्होंने आगे कहा, "राज्य सरकार 141 गांवों के 18,386 परिवारों के विस्थापन की ही बात कह रही है, जबकि हकीकत यह है कि बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से 192 गांव और एक शहर डूब में आने वाला है। उससे 40 हजार परिवार प्रभावित होंगे। इस परियोजना से गुजरात को लाभ होगा और मध्यप्रदेश के कई गांव जलसमाधि ले लेंगे।"
राज्य सरकार की ओर से बुधवार को एक विज्ञप्ति जारी कर बताया गया था कि सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों के विस्थापन एवं पुनर्वास का कार्य पूरी गंभीरता एवं संवेदनशीलता के साथ किया जा रहा है। सरदार सरोवर परियोजना में मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार, अलीराजपुर और खरगोन जिले के 178 गांवों के 23,614 विस्थापित परिवार हैं, जिनमें से 5,551 विस्थापित परिवारों को गुजरात में और 18,063 विस्थापित परिवारों को मध्यप्रदेश में बसाया जाना था।
इनमें से अब तक 9,242 परिवार बस चुके हैं। उच्चतम न्यायालय के आठ फरवरी 2017 के आदेश के द्वारा जिन 681 परिवारों को 60 लाख रुपये की राशि देने का निर्देश दिया गया था, उनमें से अब तक शिकायत निवारण प्राधिकरण के माध्यम से कुल 629 परिवारों को 60 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
दूसरी ओर, कांग्रेस का आरोप है कि राज्य की सरकार ने गुजरात सरकार के सामने समर्पण कर दिया है। सरदार सरोवर से पानी गुजरात को मिलेगा और तबाही-बरबादी मध्यप्रदेश में होगी। राज्य सरकार को चाहिए कि वह पहले पुनर्वास स्थलों पर व्यवस्थाएं करे, उसके बाद विस्थापन की प्रक्रिया को अंजाम दे। तब तक बांध की ऊंचाई को बढ़ाने की प्रक्रिया को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय व गुजरात सरकार से आग्रह करे।
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