मल्हार मीडिया ब्यूरो।
निचली अदालतों के न्यायाधीशों के लिए बनाई गई तबादला नीति के उल्लंघन और 15 माह में चार बार स्थानांतरित किए जाने पर आपत्ति दर्ज कराने पर निलंबित किए गए अपर जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आर. के. श्रीवास एक बार फिर उच्च न्यायालय जबलपुर की इमारत के सामने मौनव्रत पर बैठ गए है। रविवार को उनके मौनव्रत का दूसरा दिन है, यह गांधीवादी विरोध सोमवार तक जारी रहेगा।
गौरतलब है कि श्रीवास ने जबलपुर से नीचम तबादला किए जाने पर सवाल उठाए थे, क्योंकि उनके 15 माह में उनका चौथा तबादला था। इसके बाद वे एक से तीन अगस्त तक तीन दिन उच्च न्यायालय जबलपुर के गेट नंबर तीन के सामने धरने पर बैठे। उसके बाद आठ अगस्त को उन्होंने नीमच में कार्यभार संभाला और उसके कुछ घंटों बाद ही उन्हें निलंबित कर दिया गया।
निलंबन के फैसले के खिलाफ श्रीवास ने नीमच से जबलपुर तक की आठ सौ किलोमीटर की यात्रा का ऐलान किया। वे 18 अगस्त को साइकिल से नीमच से जबलपुर के लिए निकले, शनिवार को यहां पहुंचकर उन्होंने मौनव्रत शुरू कर दिया।
श्रीवास का कहना है कि उनका बीते 15 माह में शहडोल, सीहोरा, जबलपुर और फिर नीमच तबादला किया गया, जो तबादला नीति के विरूद्ध है। तबादला नीति के मुताबिक, एक न्यायाधीश को तीन वर्ष तक पदस्थ किया जाना चाहिए, मगर उनके साथ ऐसा नहीं हुआ। उन्हें अनावश्यक प्रताड़ित किया जा रहा है। अब उन्हें निलंबित किया गया है।
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