हेमंत पाल।
हर राजनीतिक पार्टी की राजनीति की एक शैली होती है, जिससे उसके आचरण का पता चलता है। भाजपा के नेता और कार्यकर्ता जिस तरह से मारपीट की घटनाएं कर रहे हैं, उससे लगता है वे पार्टी संस्कारों से भटक गए। भाजपा के नेता और कार्यकर्ता सत्ता खोने से हताशा में हैं। शायद इसी लिए वे अराजक हो गए।
कहीं अधिकारियों को काम करने से रोका जा रहा है, उनको हद में रहने की हिदायत दी जा रही है, तो कहीं उन पर जानलेवा हमले हो रहे हैं। नेताओं के बेटे भी गोलियां चलाने में गुरेज नहीं कर रहे। भाजपा के विधायक से लगाकर सामान्य कार्यकर्ता तक कानून हाथ में लेने से नहीं हिचक रहे।
ऐसे में शुचिता वाली राजनीति का दंभ कहाँ गया? पार्टी के नीति-नियंताओं को सोचना होगा उनके नेता, कार्यकर्ता और उनकी शह पर उनके परिजन किस दिशा में जा रहे हैं!
मध्यप्रदेश में इन दिनों जो हो रहा है, वो भाजपा की राजनीतिक शुचिता वाली शैली तो कदापि नहीं है! पार्टी की रीति-नीति भले ही गांधीवादी नहीं है, पर इतनी हिंसक भी नहीं है कि उसके नेता और कार्यकर्ता कानून को ठेंगा दिखाएं।
कोई क्रिकेट के बल्ले से अधिकारियों के साथ मारपीट कर रहा है, कोई बेसवाॅल के बेट से जानलेवा हमला कर रहा है, तो कोई भरी बैठक में अधिकारियों को धमका रहा है। चौथी बार सत्ता न पाने की हताशा में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता हमला करने और धमकी देने से भी बाज नहीं आ रहे।
प्रदेश में लगातार डेढ़ दशक तक सत्ता में रही भाजपा की एक पूरी पीढ़ी ने जब होश संभाला, सत्ता की चाशनी का स्वाद लिया।
अब, पार्टी सत्ता से बाहर है और अधिकारियों की कामकाज की शैली में जो बदलाव आया है, वो नेताओं और कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा। जो अधिकारी उनके इशारों को समझते थे, वही अब उनके निर्देशों को नजर अंदाज कर रहे हैं, तो उन्हें वो तिरस्कार लग रहा है।
इंदौर के एक भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय राजनीतिक हित साधने के लिए नगर निगम के अधिकारी पर क्रिकेट के बल्ले से हमला कर देते हैं। यह घटना तब होती है, जब नगर निगम शहर में चिन्हित 26 अति-खतरनाक मकानों को तोड़ने की कार्रवाई कर रही थी।
जब ये टीम एक मकान को तोड़ने पहुंची, तो उनकी बहस आकाश विजयवर्गीय से हो गई। विधायक ने नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को 10 मिनट में वहां से निकल जाने को कहा।
बाद में विधायक भड़क गए और उन्होंने क्रिकेट के बल्ले से निगम कर्मचारी पर हमला कर दिया। दमोह के भाजपा नेता विवेक अग्रवाल भी क्रिकेट बल्ला लेकर अधिकारी को धमकाने ऑफिस पहुंच जाते है।
सतना के रामनगर नगर पंचायत के अध्यक्ष रामसुशील पटेल पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी देवरत्नम सोनी पर बेसवाॅल के बेट जानलेवा हमला करके उन्हें घायल कर देते हैं!
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के बेटे और भतीजे सरेआम गोलियां चलाकर भाग जाते हैं। ये किसी राजनीतिक पार्टी के नेताओं के कार्यकर्ताओं के कृत्य तो नहीं है! क्या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस अराजकता को नजर अंदाज करना चाहिए?
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-3 से विधायक आकाश विजयवर्गीय चार दिन तक पूरे देश में चर्चा में रहे। राजनीतिक रूप से तो हरकत की निंदा हुई, मीडिया ने भी उनके इस कदम को सही नहीं माना।
जब चारों तरफ ये खबर सुर्ख़ियों में थी, तभी एक और भाजपा की विधायक महिला लीना जैन ने एक अधिकारी को बैठक में सबके सामने नौकरी नहीं करने देने के लिए धमकाया। गंजबासौदा विधानसभा क्षेत्र की इस विधायक ने आपा खोते हुए अधिकारी को नौकरी नहीं करने देने की खुली धमकी इसलिए दी कि उन्होंने एक कार्यक्रम में कांग्रेस के नेताओं को बुलाया था।
उनका ये धमकाने वाला वीडियो भी खूब चला! किसी जनप्रतिनिधि से ऐसे आचरण की उम्मीद नहीं की जाती कि वो अधिकारियों को इस तरह की भाषा में हिदायत दे।
कम से कम एक महिला विधायक से तो बिल्कुल नहीं। लेकिन, जब पुरुष विधायक हाथ चलाएंगे तो स्वाभाविक है कि महिला विधायक जुबान तो चला ही सकती है।!
हाल ही में केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल के बेटे प्रबल पटेल और भतीजे मोनू पटेल और उनके साथियों को एक व्यक्ति को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ये नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव इलाके की घटना है।
ये उनकी सरेआम गुंडागर्दी थी। पुलिस ने हत्या की कोशिश के मामले में मामला दर्ज किया है। आश्चर्य है कि प्रह्लाद पटेल के भाई और विधायक जालमसिंह पटेल ने अपने बेटे सोनू और भतीजे पर लगे आरोपों को गलत बताया! उनका कहना है कि पुलिस ने उन्हें जबरन फंसाया।
जबकि, ये घटना सरेआम हुई। शुरू में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में ढिलाई बरती। लेकिन, बाद में एफआईआर दर्ज की गई और आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए। सतना नगर पंचायत के मेडिकल ऑफिसर के साथ मारपीट के मामले में भी भाजपा पंचायत अध्यक्ष राम सुशील पटेल को गिरफ्तार किया गया।
इस मामले में पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जानलेवा हमले के बाद भी राम पटेल ने दावा किया कि उनके साथ भी मारपीट की गई। जबकि, जो फोटो वायरल हुआ है, उसे देखकर समझा जा सकता है कि किसने किसको मारा होगा।
प्रदेश के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल की गुंडगर्दी के तो कई किस्से सुर्ख़ियों में हैं। सुदीप ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता सुखराम बामने को अपशब्द कहते हुए धमकाया था।
इसका ऑडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था। वो लम्बे समय से फरार था। पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था। आखिर उसे भी गिरफ्तार किया गया। ये सारी घटनाएं संयोग नहीं कही जा सकती।
ये भाजपा की कार्यशैली भी नहीं है। तो फिर क्या ये माना जाए कि ये सत्ता खोने की कुंठा है, जो हिंसक रूप में सामने आ रही है?
इन सारी घटनाओं में संयोग ये है कि भाजपा नेताओं के कोप का शिकार अधिकारी ही बन रहे हैं। अपनी आदत के मुताबिक जब ये नेता अधिकारियों से अपनी मर्जी के काम करवाना चाहते हैं, और वे नहीं करते तो उनका गुस्सा फट पड़ता है।
बेहतर होगा कि पार्टी ऐसे मामलों को गंभीरता से ले और अपने नेताओं को सच्चाई स्वीकारने की सलाह दे कि पार्टी अब विपक्ष में है। इसलिए अपना आचरण भी उसी के अनुरूप ढाल लें!
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