ममता यादव।
मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को ऐसे बदलाव के लिये तो नहीं ही चुना गया था। कई विभागों में तनख्वाह नहीं हो रही। कानून व्यवस्था ध्वस्त। मीडिया से दूरी। रोज नित नए अजब-गजब फरमान।
कोई पूछे क्या चल रहा है? तो जवाब मिलता है तबादला।
विधानसभा के सवाल जवाब के आधार पर बनी खबर पर सदन में बोल दिया जाता है पेपर की कटिंग के आधार पर चर्चा नहीं होगी। वो खबरें बनी और विधानसभा में लिखित में दिए गए सवाल जवाबों पर ही बनीं। क्योंकि आपके मंत्रियों को फुर्सत ही नहीं जवाब पढ़ने की। इस तरह आपने उस खबर बनाने वाले को ही बिना कहे अविश्वसनीय बता दिया।
नगर निगम में शामिल इलाकों को फिर नगरपालिका बनाने के फैसले कितने ठीक हैं? ये जरा कोलार में रहने वालों से पूछिए।
आपके सैकड़ों आरोपों वाले आरोप पत्र में व्यापमं शामिल नहीं है इसका जवाब तब भी नहीं था अब तो मिलेगा ही नहीं।
दो महीने में ही जनता में बेचैनी होने लगी।
किसान कर्जमाफी की हकीकत या तो आप जानते हैं या कोऑपरेटिव सोसायटियां।
14 दिन से चित्रकूट के गायब बच्चे जिस हालत में मिले उसपर सिर्फ संवेदना जताने से कुछ नहीं होगा? क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं इन 14 दिनों में उन बच्चों पर क्या—क्या नहीं गुजरी होगी।
पिछले 14 दिन में कितनी बार पुलिस महकमे को इस मामले में तरीके से कार्यवाही के लिये कहा गया? क्या फर्क पड़ता है पुलिस महकमा तो प्रदेश का है और सरकार आपकी? अब संवेदना बेमानी है।
अपराधी भाजपा के थे बजरंग दल के थे इससे फर्क नहीं पड़ता। अपराधी अपराधी ही होता है और आपके सिस्टम का सबसे बड़ा फेलियर है ये केस।
इस मामले में आपके प्रवक्ताओं के बयान अब बेमानी और बोथरे लग रहे हैं।
आपके मंत्री आपके ही विधायकों की नहीं सुन रहे। जिन कार्यकर्ताओं ने दिनरात एक कर इन्हें जिताया अब उनको ही तवज्जो नहीं मिल रही।
वैसे जनता ने कांग्रेस को नहीं जिताया था भाजपा को हराया था। विकल्पहीनता का ये सन्देश समझिये कि बहुमत भी किसी को नहीं मिला।
तो भविष्य उज्ज्वल है इसकी सम्भावना मध्यप्रदेश को दूर-दूर तक नहीं दिख रही। चलिये छोड़िये पहली प्रेसवार्ता में किया गया वायदा कब पूरा होगा वो ही बता दीजिए?
जन आयोग कब बन रहा है? यही बात दीजिये सरकार!
Comments