मल्हार मीडिया ब्यूरो।
विदिशा| मध्यप्रदेश में चल रही आजीविका मिशन ने ग्रामीण इलाकों के जरूरतमंद लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है, उन्हीं में से एक है इमरत बाई जाटव। कभी वे दूसरे के खेतों में काम करके अपने परिवार का गुजर-बसर करती थीं, मगर आज उनकी गिनती गांव के सम्पन्न परिवारों में होने लगी है। मध्यप्रदेश आजीविका मिशन द्वारा गुरुवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि विदिशा जिले के सिरोंज विकासखंड के ग्राम वीरपुर की इमरत बाई जाटव परंपरागत खेती करके अपना गुजर-बसर करती थी। आजीविका मिशन के अधिकारियों ने उनके गांव पहुंचकर इमरत बाई को समूह बनाकर काम करने की सलाह दी।
इमरत बाई ने महिला समूह बनाया। समूह से आर्थिक मदद लेकर ड्रिप-मल्चिंग पद्धति से एक बीघा जमीन में मिर्च लगाई। इससे उन्हें 60 हजार रुपये का फायदा हुआ। दूसरे वर्ष सब्जी उत्पादन से उन्हें 80 हजार रुपये की आय हुई। कृषि से बढ़ी हुई आय से उसका उत्साह बढ़ा।
इमरत बाई बताती हैं कि उसने अपने पति रामदयाल को समूह से राशि दिलाकर राज मिस्त्री के औजार खरीद कर दिलवाए। पति-पत्नी की कड़ी मेहनत से परिवार की माली हालत में सुधार आया। इमरत बाई का परिवार पहले दूसरे के खेतों में काम करा करता था, आज खुद का काम करके आर्थिक रूप से सक्षम हो गया है।
वहीं रामदयाल की बढ़ी आमदनी से बैंक से कर्ज लेकर ट्रैक्टर-ट्रॉली खरीदी। आज वे गांव में आर्थिक रूप से संपन्न लोगों में गिने जाते हैं। वीरपुर के इस समूह को बैंक से लगातार लेन-देन करने के कारण बैंक लिंकेज का फायदा भी मिला है।
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