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व्यापमं घोटाले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,634 एमबीबीएस छात्रों का दाखिला रद्द

राज्य, राष्ट्रीय            Feb 13, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। सर्वोच्च कोर्ट से भी सामूहिक नकल में लिप्त सभी 634 MBBS छात्रों को कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने इन सभी छात्रों को राहत देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे 634 छात्रों के दाखिले को रद्द कर दिया है जिन्होंने 2008-2012 की अवधि में 5 साल के एमबीबीएस कोर्स में नामांकन कराया था। इन मेडिकल छात्रों का दाखिला मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं के जरिए हुआ था।

व्यापमं घोटाले में भी ये बात सामने आई थी कि छात्र बिना परीक्षा दिए मेडिकल-इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा पास कर जाते थे। इस केस में दो जजों के फैसले में मतभेद की बात भी सामने आई थी। इससे पहले आए फैसले में 2 जजों में सजा को लेकर मतभेद था। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने छात्रों की तरफ से दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट का फैसला बरकरार करते हुए सामूहिक नकल के दोषी छात्रों के दाखिले रद्द कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि सामूहिक नकल के दोषी 634 छात्रों को राहत दी जाए या नहीं।

इससे पहले 268 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक दिलचस्प फैसला सुनाया था। मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए। सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलामेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा। पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी। इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा।

वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के दाखिला रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुये छात्रों की अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया। गौरतलब कि व्यापम मे सामूहिक नकल की बात सामने आने पर 2008-2012 के छात्रों के बैच के एडमिशन रद्द कर दिए गए थे। इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी।



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