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तहसीलदार का कहर,आराजी पट्टे के मकान को अतिक्रमण बताकर तोड़ा, सड़क पर परिवार

राज्य            Feb 01, 2017


उमरिया से सुरेन्द्र त्रिपाठी।

उमरिया जिले के बिलासपुर ग्राम में एक परिवार पर प्रशासन का कहर अतिक्रमण की आढ़ में टूटा है। बताया जा रहा है कि आराजी पर बने मकान को अतिक्रमण बताकर उस पर बुल्डोजर चला दिया गया। अब बाल बच्चों सहित पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर घर टूटने से जवान बिटिया के विवाह का सपना भी टूट गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्ट्रेट परिसर के सामने न्याय की गुहार का हाथ में आवेदन लिए ये वही परिवार के लोग हैं जिनके पट्टे आराजी में बने मकान को तहसीलदार चंदिया ने अतिक्रमण मानकर बुलडोजर से जमीदोज कर दिया है। घटना जिले के बिलासपुर ग्राम की है जहाँ के निवासी राम प्रसाद वर्मन और जमुना बाई बर्मन ने बताया कि तहसीलदार ने मकान धराशायी करवा दिया है। प्रशासन ने पहले तो खसरा नम्बर 196 में अतिक्रमण की नोटिस दी और दूसरे दिन घर तोड़ दिया जबकि घर खसरा नम्बर 216 में बना है, इतना ही नहीं पुस्तैनी जमीन में स्कूल भी बना है और पट्टे की जमीन को सरकारी मान कर घर गिरा दिया गया।

प्रशासन की इस कार्यवाही से एक भरा—पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करने को मजबूर हो गया है, अब उनके पास सर छिपाने की जगह के लाले पड़ गए हैं और जवान बेटी की शादी की तैयारी कर रहे थे, तहसीलदार नीलेश सिंह की इस कार्यवाही से शादी भी रुक गई वहीं जमुना बाई का कहना है कि गाँव का ही हरी मास्टर और मीना बाई सोनी के इशारे पर तहसीलदार ने घर गिरा दिया अब लडके और परिवार गली–गली के हो गए, अब हम कहाँ से शादी करे।

जिस परिवार का मकान प्रशासन ने अतिक्रमण की कार्यवाही मानकर तोड़ दिया है उस परिवार के पास इंदिरा आवास योजना के तहत गृह निर्माण की मंजूरी भी है। अब पीड़ित परिवार को पुस्तैनी मकान के टूट जाने की पीड़ा तो है ही साथ ही घर के आभाव में इसी वर्ष जवान बिटिया की शादी करने की योजना सफल न होने का दोहरा दुःख है कानून के जानकार एडव्होकेट संदीप शर्मा ने प्रशाशन की इस कार्यवाही को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि पहले इसकी जमीन को 196/1 माना गया और बेदखली का आदेश पारित किया गया उसके बाद प्रकरण क्रमांक 196/1क/06अ68/16-17 के आधार पर इसी भूमि को खसरा नंबर 216 मान लिया गया जबकि ये जमीन इनकी पट्टे आराजी की भूमि है और बाहुबलियों के द्वारा किये गए कब्जे को खाली न करा कर गरीबों के बेदखल कर इनको घर से बेघर कर दिया गया और तहसीलदार का यह कृत्य सर्वथा अनुचित है और इनके द्वारा अपील भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्थगन नहीं दिया गया और दूसरे दिन घर गिरा दिया गया, यह सरासर अन्याय है।

इस मामले में जब जिले के कलेक्टर अभिषेक सिंह से बात किया गया तो उनका कहना है कि अभी मेरे संज्ञान में आया है पीड़ित परिवार आया था और बताया कि मेरा आवास इंदिरा आवास में था और मेरी जमीन में स्कूल भी बना है, मैं इस मामले की जाँच करने के लिए एसडीएम को कह दिया है जैसा प्रतिवेदन आयेगा वैसी कार्यवाही करूंगा।

देश में आवासहीन परिवार को आश्रय योजना के तहत प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आवास दिलाये जाने की घोषणा हर मंच से करते नजर आते हैं लेकिन उमरिया में एक पट्टे आराजी के मकान को गाँव के ही दबंग लोगों के ईशारे पर गिराकर आवासहीन बनाने का मामला निश्चित रूप से प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा शासन की मंशा पर पलीता लगाये जाने का प्रयास है देखना है कलेक्टर की जाँच के आदेश पीड़ित को कितना न्याय दिला पाते हैं।



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