राष्ट्रपति से परिवार सहित इच्छामृत्यु की मांग करेंगे जनअभियान परिषद के कर्मचारी

राज्य            Feb 19, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार बदले की भावना से काम कर रही है अगर ऐसा पहले की सरकार ने किया होता तो नेहरू युवा केंद्र बंद हो चुके होते। यह कहना है जन अभियान परिषद के अधिकारी—कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष प्रवीण सिंह पवार का।

आज राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में सरकार के निर्णय के विरोध में एकत्र हुए जन अभियान परिषद के 615 कर्मचारियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन प्रेषित कर इच्छामृत्यु की मांग करेंगे।

उनका कहना है कि हमारी नौकरी लगी जब हमारी उम्र 25 से 30 वर्ष के बीच थी आज उम्र 45 के पार हो चुकी है तब सरकार जन अभियान परिषद में ताला लगाकर हमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्त देकर बाहर का रास्ता दिखाने जा रही है। ऐसे में हमारे परिवारों के सामने रोजी—रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।

अपने वचन पत्र में संविदा कर्मियों को नियमित करने और प्रदेश में रोजगार बढ़ाने के वचन को लेकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार अब जल्द ही 615 परिवारों को बेरोजगार कर उनको बेघर करने जा रही है।

कांग्रेस सरकार ने योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद को भंग कर उनके कर्मचारियों और अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पूरी तरह से योजना तैयार कर ली है। इस माह के अंत तक इन सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर बाहर कर परिषद में ताला लगाने का प्लान तैयार कर लिया है।

हैरानी वाली बात है कि जन अभियान परिषद का गठन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल में मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अंतर्गत 4 जुलाई 1997 को किया गया था। इसके बाद से परिषद ने ग्राम विकास के क्षेत्र में अविस्मरणीय कार्य कर विशिष्ट पहचान बना आकर ग्राम विकास की अवधारणा को साकार करने में सरकार का पूर्ण सहयोग किया है।

सूत्रों की मानें तो सरकार ने निर्ममता का परिचय देते हुए परिषद में कार्यरत सभी अधिकारियों कर्मचारियों को उनके हितों और अपने वचन पत्र को दरकिनार कर सभी को बाहर करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है।

संभवत: है देश में ऐसा पहला मामला होगा कि 10 साल से अधिक सेवा देने के बाद अलोकतांत्रिक एवं अमानवीय तरीके से इन्हें बेरोजगार किया जा रहा है।

ज्ञातव्य है कि योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के 615 पदों के विरुद्ध कार्यरत 523 अधिकारी कर्मचारियों को 5 माह पूर्व ही नियमित किया गया है।

यह अधिकारी कर्मचारी विगत 2007-08 से संविदा आधार पर कार्य कर रहे थे। इनकी भर्ती भी उच्च स्तरीय समिति का गठन कर सभी की नियुक्ति की गई थी। इनके सेवाकाल को देखते हुए माह सितंबर 2018 में शासन द्वारा नियमानुसार असाधारण राजपत्र प्रकाशित कर प्रक्रिया अनुसार नियमित किया गया था।

कांग्रेस सरकार द्वारा अब 4 माह पहले नियमित हुए कर्मचारियों अधिकारियों को आनन-फानन में अलोकतांत्रिक तरीके से सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जा रही है जबकि शासन द्वारा इन अधिकारियों कर्मचारियों का विकास कार्यों में सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है।

आखिर एक सोची-समझी रणनीति के तहत 5 फरवरी 2019 को मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद की कार्यकारिणी सभा की बैठक बुलाकर परिषद को भंग करने पर उसमें कार्य कर रहे 615 नियमित कर्मचारी 14 संविदा कर्मचारी 66 कलेक्टर दर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व 14 दैनिक वेतन भोगी कंप्यूटर ऑपरेटर 1800 से अधिक परामर्श दाताओं की सेवा समाप्त करने का प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया।

आज राजधानी के नीलम पार्क में जन अभियान परिषद के समस्त कर्मचारियों ने एक विशाल बैठक कर निर्णय लिया कि भारत के महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन प्रेषित किया जाए।

ज्ञापन में मांग की गई है कि हमारी नौकरी लगी जब हमारी उम्र 25 से 30 वर्ष के बीच थी आज उम्र 45 के पार हो चुकी है और सरकार हमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्त देकर बाहर का रास्ता दिखाने जा रही है।

उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो हम परिवार सहित राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करेंगे।

जन अभियान परिषद के अध्यक्ष प्रवीण सिंह पवार एवं सचिव दिनेश उमरिया ने बताया कि सरकार बदले की भावना से हम हटा रही है।

समस्त कर्मचारी शासन के निर्देशों का पालन बराबर करते आ रहे हैं अगर ऐसा ही होता तो नेहरू युवा केंद्र तो अब तक बंद हो गया होता। लेकिन नेहरू युवा केंद्र से विकास कार्यों में पूर्ण सहयोग लिया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले महीने तक सभी अधिकारी कर्मचारियों को बाहर कर सरकार जन अभियान परिषद में ताला लगाने का प्लान तैयार कर रही हैं इसकी हम घोर निंदा करते हैं।

 

 


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