जब कोच की मौत और मिर्का की चोट से टूट गए फेडरर

स्पोर्टस            Sep 22, 2022


ओमप्रकाश।

रोजर फेडरर के लिए वर्ष 2001 संघर्ष का साल था. जर्मन ओपन में वह पहले ही हार चुके थे.

फ्रेंच ओपन उनके लिए थोड़ा बेहतर रहा लेकिन क्वार्टर-फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए. फिर विंबलडन में खिताब जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. 

इस दरम्यान फेडरर ने क्रिस्टोफ रोच्स, जेवियर मालिस और जोनस बोर्कमैन को हराया. चौथे मैच में फेडरर का मुकाबला उनके आदर्श और ग्रास कोर्ट के बादशाह पीट सैम्प्रास से था. फेडरर पहली बार अपने हीरो के सामने थे.

उन दिनों अमेरिकी खिलाड़ी सैम्प्रास की ग्रास कोर्ट पर तूती बोलती थी. वह विंबलडन में 8 में से 7 खिताब जीत चुके थे.

टेनिस के सबसे प्रतिष्ठित इस टूर्नामेंट में पिछले 57 मैचों में सैम्प्रास सिर्फ एक मुकाबला हारे थे. विंबलडन में पिछले 31 मैचों से अजेय थे.

उस समय तक वह 13 ग्रैंड स्लैम जीत चुके थे.

पीट सैम्प्रास के मुकाबले रोजर फेडरर के पास महज तीन साल का अनुभव था.

इसलिए ये हाथी-मेमने की लड़ाई थी. इधर तीन जीत की खुराक के बाद फेडरर का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ था.

मैच से पहले जॉन मैक्नरो ने कहा था, "फेडरर को खड़े होने और दिखाने की जरूरत है कि वह क्या करने में सक्षम हैं?"

मैच के दौरान रोजर फेडरर ने पीट सैम्प्रास के हर शॉट का जवाब दिया.

दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई. स्विस खिलाड़ी ने सैम्प्रास को नाकों चने चबवा दिए.

अमेरिकी खिलाड़ी को इसका अंदाजा नहीं था कि फेडरर जीत की राह में रोड़ा बन जाएंगे. दोनों खिलाड़ियों के बीच ये मुकाबला 3 घंटे 41 मिनट तक चला.

फेडरर ने इस मैच में सैम्प्रास को 7-6, 5-7, 6-4, 6-7, 7-5 से शिकस्त दी.

जीत के बाद फेडरर जमीन पर लेट गए और उनकी आंखे भर आईं. टेनिस करियर में ये उनका अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था.

मैच के बाद फेडरर ने कहा, "मुझे भरोसा नहीं था कि मैंने सैम्प्रास को हराया है.

कभी-कभी मैंने नेट के दोनों तरफ देखा और सोचा ये वास्तविकता है या कोई आश्चर्यजनक सपना."

पीट सैम्प्रास के विरुद्ध मिली अविस्मरणीय जीत के बाद फेडरर ठीक से सो नहीं पाए.

इस जीत का असर उन पर साफ दिखा. अगले दिन फेडरर ने हैट और सनग्लास पहनकर ट्रेनिंग की.  

टेनिस दिग्गजसैम्प्रास को हराने के बाद फेडरर जीत के जश्न से बाहर नहीं आ पा रहे थे. मीडिया ने भी उन्हें नायक बना दिया.

अब क्वार्टर-फाइनल उनका मुकाबला टिम हेनमैन से था. जब मैच शुरू हुआ तो फेडरर बेरंग दिखे. सैम्प्रास के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए झन्नाटेदार शॉट इस मैच में नदारद थे.

उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगा कि ये वही फेडरर हैं जिन्होंने पिछले मैच में सैम्प्रास को हराया था.

 हेनमैन ने फेडरर को क्वार्टर-फाइनल मैच में 7-5, 7-6, 2-6, 7-6 से शिकस्त दी.

इस हार ने फेडरर को जमीन पर ला खड़ा किया.

विंबलडन के बाद रही-सही कसर स्विस ओपन में पूरी हो गई.

जहां उन्हें पहले राउंड में इवान लजुबिक के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा. ये करारी हार थी.

खिताब के नजरिए से अगर देखा जाए तो 2001 में फेडरर के पास गर्व करने के लिए कुछ नहीं था. इस साल वह सिर्फ मिलान में खिताब जीते थे.

उनके पास अगर कुछ गर्व करने लायक था तो सैम्प्रास के खिलाफ मिली जीत थी. लजुबिक से मिली हार को फेडरर पचा नहीं पा रहे थे.

इस दौरान उन्हें चोट भी लगी थी. लिहाजा उन्होंने अगले 2 महीनों तक टेनिस खेलना बंद कर दिया.

वह बाएल में अपने ट्रेनिंग बेस के पास शुरुआती दिनों के दोस्त माइकल लामेर के साथ रहने लगे.

दो कमरों के अपार्टमेंट में फेडरर का अपना बेडरूम था. जबकि लामेर लिविंग रूम में सोते थे.

तब फेडरर की गर्लफ्रेंड मिर्का अक्सर वहां आती थीं. वह साफ-सफाई करतीं, खाना बनातीं और चीजों को करीने से संवारती जो देखने में बेहतर लगें.

रोजर फेडरर ने साल 2001 में यूएस ओपन में वापसी की.

वह चौथे दौर में पहुंचे जहां आंद्रे आगासी ने मात दी. इस साल कई टूर्नामेंट में मिली जीत से फेडरर को जो विश्वास मिला वो सब गायब हो गया.

वह इंडोर टूर्नामेंट में वापसी करने में नाकाम रहे. फेडरर होम टाउन बासेल में आयोजित टूर्नामेंट भी नहीं जीत पाए.

फाइनल में उन्हें एक बार फिर टिम हेनमैन ने हराया.

इस साल उनकी 13वीं रैंक रही. जबकि उनके प्रतिद्वंदी लेटिन हेविट ने यूएस ओपन जीता और विश्व के नंबर एक खिलाड़ी के तौर पर साल समाप्त किया.

वर्ष 2002 रोजर फेडरर के प्रोफेशनल टेनिस करियर का चौथा साल था.

अब वह 20 बरस के हो गए थे. सीजन का आगाज उनकी खराब शुरुआत से हुआ. ऑस्ट्रेलियन ओपन में टॉमी हास ने फेडरर को हरा दिया.

बीते साल जर्मन ओपन में जहां फेडरर अर्जेंटीना के स्क्वीलारी से हारे थे इस बार उन्होंने तीन बार के फ्रेंच ओपन चैंपियन गस्तावो कुएर्टन को मात दी.

इसके बाद फेडरर ने फाइनल में मरात साफिन को हराकर खिताब जीता.

स्विस खिलाड़ी का अगला पड़ाव फ्रेंच ओपन था.

फेडरर को खिताब का दावेदार माना जा रहा था.

लेकिन वक्त को कुछ और मंजूर था. फ्रेंच ओपन में वह अपना पहला मैच मोरक्को के हिचाम हराजी से हार गए. 2002 के विंबलडन में फेडरर के साथ और भी बुरा हुआ. इस बार उन्हें विश्व के 154वीं रैंक के खिलाड़ी मारियो एंसिक ने बाहर कर दिया.

मारियो से हारने के बाद फेडरर जबरदस्त दबाव में आ गए.

उनकी सारी क्रिएटिविटी गायब हो गई. उनका विश्वास हिल गया. वह रैंकिंग में टॉप 10 से बाहर हो गए. मानसिक तौर पर परेशान थे. यहां तक फेडरर ने मान लिया था कि वह आगे टेनिस नहीं खेल पाएंगे.

अभी फेडरर विंबलडन में मिली हार से उबर नहीं पाए थे. इस दौरान एक खबर ने उन्हें झकझोर दिया.

फेडरर के पहले प्रॉपर टेनिस कोच और स्विस डेविस कप टीम के नए प्रमुख पीटर कार्टर की साउथ अफ्रीका में कार दुर्घटना में मौत हो गई.

वह महज 36 साल के थे. यह हादसा क्रुगर नेशनल पार्क के पास हुआ. कार्टर हनीमून मनाने दक्षिण अफ्रीका गए थे.

पूर्व कोच की हुई अचानक मौत ने फेडरर को हिलाकर रख दिया.

वह इस भयावह दुर्घटना से अंदर ही अंदर टूट गए.

फेडरर ने कहा," कार्टर ने जो कुछ मुझे दिया है मैं प्रत्येक चीज के लिए उन्हें पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकता हूं."

इसके बाद फेडरर ने दृढ़ निश्चय किया कि वह और मेहनत करेंगे.

हालांकि उनकी ये प्रतिबद्धता रंग नहीं लाई. यूएस ओपन में फेडरर लोअर रैंक वाले मैक्स मिर्नई से हार गए.

लेकिन इसी वर्ष जब स्विट्जरलैंड ने डेविस कप में जीत दर्ज की तो फेडरर ने इस जीत को पीटर कार्टर को समर्पित किया.

साल 2000 में ओलंपिक खेलों का आयोजन सिडनी में हुआ. टेनिस खिलाड़ी मिर्का ओलंपिक में स्विट्जरलैंड का प्रतिनिधित्व कर रही थीं.

खेलों के इस महाकुंभ में वह पहले राउंड से आगे नहीं बढ़ पाईं.

मिर्का ने 2001 यूएस ओपन में अपने टेनिस करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया.

इस दौरान उन्होंने अपने से बेहतर रैंकिंग वाली खिलाड़ियों को हराया.

लेकिन मिर्का तीसरे राउंड में जस्टिन हेनिन से पार नहीं पा सकीं.

यूएस ओपन के दौरान शॉवर में फिसलने से उनका दाहिना पैर चोटिल हो गया था. बाद में पता चला उनकी एड़ी फट गई.

तब मिर्का दुनिया की 76वें नंबर की खिलाड़ी थीं.

जब एक पैर चोटिल हो जाता है तो दूसरे पर जोर पड़ना लाजिमी है.

अब मिर्का के शरीर का पूरा भार बाएं पैर पर था.

परिणाम यह हुआ कि उनके बाएं पैर में दिक्कत होने लगी.

जिसके चलते मिर्का ने तीन महीने तक टेनिस खेलना बंद कर दिया. इसके बाद उन्होंने रोजर फेडरर के साथ पर्थ में आयोजित होपमैन कप में वापसी की.

सिडनी ओलंपिक में मुलाकात के बाद 2002 तक दोनों का प्यार परवान चढ़ चुका था. दोनों अपने रिलेशनशिप को ज्यादा समय तक छुपा नहीं सके.

फेडरर और मिर्का ने होपमैन कप में अर्जेंटीना को हराया लेकिन अॉस्ट्रेलिया और स्पेन से हार गए.

यूएस ओपन के बाद डब्ल्यूटीए टूर के तहत मिर्का 5 टूर्नामेंट में और खेलीं. इन सभी टूर्नामेंट में उन्हें पहले राउंड में हार मिली.

अप्रैल 2002 में वह बुडापेस्ट में आखिरी बार खेलीं. इस दरम्यान एक फिर उनकी एड़ी में दिक्कत हुई. फिर अॉपरेशन कराना पड़ा.

ये मिर्का के लिए बहुत था. पानी सिर तक जा चुका था. साल 2002 में 24वें जन्मदिन के कुछ दिन बाद मिर्का ने टेनिस को भारी मन से अलविदा कह दिया.

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(पीटर कार्टर के साथ रोजर फेडरर)

 

 



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