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मौत को मात देकर एक पैर से किया एवरेस्ट फतेह,पद्मश्री बनीं अरूणिमा

वामा            Jan 30, 2015


arunima-1 फैजाबाद से कुंवर समीर शाही हिम्मत-ए-मर्दां, मदद-ए-खुदा की उक्ति पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा पर सटीक बैठती है। मौत के मुहाने पर जाकर वापस आना, हादसे में एक पैर गंवाकर और फिर एवरेस्ट को फतह करना अपने आप में अजूबा कहा जा सकता है। मगर जब इच्छाशक्ति मजबूत हो तो रास्ते की कोई बाधा आपके और आपकी मंजिल के बीच रोढ़ा नहीं बन सकती। जी हांॅ! माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली पहली नि:शक्त महिला का गौरव हासिल करने वाली अरुणिमा फैजाबाद मंडल के अंबेडकरनगर जनपद से निकलकर राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय फलक पर छा गई हैं। केंद्र सरकार ने अरुणिमा को पद्मश्री पुरुस्कार प्रदान करने की घोषणा की है। पदमश्री जैसे पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा वाकई जिले ही नहीं अपितु प्रदेश का नाम रोशन करने वाला है। अरुणिमा के पिता हरेंद्र सिन्हा मूलत :सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील के कल्याणपुर के निवासी थे। वह सेना में हवलदार थे, और मां ज्ञानबाला सिन्हा स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर पद पर तैनात थीं। 1996 में अरुणिमा के पिता का देहावसान हो गया। कुछ ही दिनों बाद ज्ञानबाला का तबादला बस्ती जिले से अंबेडकरनगर हो गया। वह यहां अपनी दो बेटियों, अरुणिमा और लक्ष्मी के अलावा पुत्र राहुल के साथ नगर के शहजादपुर कस्बे में स्थित खत्रियाना मोहल्ले में रहने लगीं। अरुणिमा ने हाइस्कूल से लेकर विधि तक की शिक्षा यहां ग्रहण की। खेल प्रतियोगिताओं से अरुणिमा का खासा लगाव था। वर्ष 2011 में वह सीआइएसएफ की परीक्षा देने दिल्ली जा रही थीं। रास्ते में बदमाशों ने चलती ट्रेन से अरुणिमा को नीचे फेंक दिया था। मरणासन्न अवस्था में रेलवे ट्रैक के किनारे मिली अरुणिमा की जान किसी तरह चिकित्सकों ने बचा ली, लेकिन इसके लिए उनका दाहिना पैर आधा काटना पड़ा। ऐसे में अरुणिमा को अपना भविष्य अंधकारमय दिखने लगा, लेकिन कहते हैं जिनमें जीत का हौसला होता है, वे उड़ान भर ही लेते हैं। पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने के बाद अरुणिमा ने कृत्रिम पैर के जरिए 2013 में माउंट एवरेस्ट जैसी चोटी को फतह कर दुनिया में अपनी जीवटता का डंका बजाया। इस कामयाबी के लिए देश के प्रधानमंत्री व सूबे के मुख्यमंत्री समेत कई महान हस्तियों द्वारा अरुणिमा को सम्मानित किया जा चुका है। इस वर्ष उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े पुरस्कार पदमश्री से नवाजे जाने की घोषणा से जिले का गौरव एक बार फिर बढ़ा है। अरुणिमा बताती हैं कि यह पुरस्कार वाकई उनके लिए बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि जिले से लेकर देश स्तर पर उन्हें जो सम्मान मिल रहा है, उसके लिए यहां के लोगों का असीम स्नेह खास मायने रखता है। अरुणिमा बेंगलुरु में आयोजित स्पोर्टस एडवेंचर के जागरूकता सम्मेलन में शिरकत करने गई हैं।


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