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सायना बनीं नंबर वन प्लेयर

वामा            Mar 28, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क भारत की सायना नेहवाल ने इतिहास रच दिया है। बैडमिंटन में पहले नंबर पर पहुंचने वाली सायना पहली भारतीय महिला बन गई हैं। इंडियन ओपन के दूसरे सेमीफाइनल में स्पेन की कैरोलीना मरीन के हारने के बाद सायना को ये उपलब्धि हासिल हुई है। इससे पहले 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सायना ने कांस्य पदक जीता था। 2012 से लेकर 2014 तक सायना कई टूर्नामेंट में हारीं लेकिन 2014 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज का खिताब जीतकर ये सिलसिला तोड़ दिया। उसी साल सायना ने चाइना ओपन सुपर सीरीज का खिताब जीतकर सबको हैरान कर दिया। इस साल की शुरुआत में कैरोलीना मरीन को हराकर उन्होंने सैयद मोदी ग्रां प्री टूर्नामेंट अपने नाम किया। उन्होंने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। हालांकि यहां वो कैरोलीना मरीन से हार गई थीं। बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष अखिलेश दास ने सायना को इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उनका कहना है कि ये सायना की कड़ी मेहनत का नतीजा है। पिछले 5 साल में सायना नेहवाल बैडमिंटन के क्षितिज पर ऐसी चमकी हैं कि भारतीय बैडमिंटन का इतिहास ही बदल गया। इसी महीने अपना 25वां जन्मदिन मना चुकी सायना ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। लेकिन हर बड़े खिलाड़ी की तरह सायना के लिए भी ये सफर आसान नहीं रहा। 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में पैदा हुई सायना अपने पिता की दूसरी बेटी थीं। जाट परिवार में पैदा होने के बावजूद पिता हरवीर सिंह को अपनी बेटी पर फक्र था और उन्होंने इसे बेटे की तरह ही पाला। पिता को यकीन था कि एक दिन उनकी बेटी पूरी दुनिया में उनका नाम रोशन करेगी। और स्कूल के समय से ही सायना ने अपनी बैडमिंटन प्रतिभा से सबको कायल कर दिया। - 14 साल की उम्र में सायना ने मिक्स्ड टीम में कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स का सिल्वर जीता। - 18 साल की उम्र में वो वर्ल्ड जूनियर चैंपियन का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। इसके बाद सायना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक बार सफलता का सिलसिला शुरू हुआ तो वो लगातार आगे ही बढ़ती गईं। - 2008 में ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। - 2009 में इंडोनेशिया ओपन जीतकर सुपर सीरीज टूर्नामेंट जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। - 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता। - 2010 में सायना ने करियर की सर्वेश्रेष्ठ नंबर 2 रैकिंग हासिल की। इसके बाद सायना ने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के सेमीफाइनल तक का सफर भी तय किया, लेकिन साल दर साल वो अपनी कामयाबी की और ऊंची उड़ान भरती गईं। - 2012 में सायना ने कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक पदक के सूखे को खत्म किया, जबकि 2014 में ऑस्ट्रेलियन ओपन और चाइना सुपर सीरीज खिताब पर कब्जा किया। यानी अपने करियर में सायना ने एक तरफ जहां निजी कामयाबी हासिल की वहीं दूसरी तरफ देश के लिए भी पदकों की बारिश की। अब सायना का सबसे बड़ा लक्ष्य ओलंपिक गोल्ड है और उनकी मौजूदा फॉर्म को देखते हुए अगले साल ये सपना भी पूरा हो सकता है।


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