नजीर मलिक।
क्या आप् बद्री अहीर को जानते हैं? बद्री अहीर गांधी जी के साथ जेल जाने वाले पहले भारतीय थे।
उन्होंने गांधी जी के शुरुआती दिनों में उनकी काफी आर्थिक मदद की थी और चम्पारन आन्दोलन को कामयाब बनाने के लिये भारत भी आये थे।
हां हां, वही बद्री अहीर, जिसे कुछ लोग आज भी हिकारत से 'बदरिया अहिरा' कहते नहीं थकते हैं।
बद्री अहीर बिहार के हेतमपुर गांव के रहने वाले थे, जो शायद भोजपुर में पड़ता है।
20 वीं सदी के शुरू में वे अफ्रीका में गिरमिटिया मज़दूर से सफल कारोबारी बन चुके थे।
महात्मा गांधी के साथ अफ्रीका में उन्होंने पहली गिरफ्तारी दी थी।
वो या उनके पूर्वज अफ्रीका कब गये थे, यह ज्ञात नहीं है।
सन 1916 के शुरू में गांधी जी को अफ्रीका में निरामिषहारी गृह बनाने की ज़रूरत हुई, तो बद्री जी अपनी पूरी नकदी लेकर बापू के पास पहुंच गए।
ये और बात है कि गांधी जी ने उनमें से 1000 पाउंड ही लिये। उस वक़्त ये बहुत बड़ी रकम थी।
जुलाई 1917 में गांधी जी भारत मे चंपारण आंदोलन चलाने आये तो बद्री अहीर जी अपनी नकद पूंजी के साथ भारत भी आ धमके।
उन्होंने आंदोलन को सफल बनाने में बहुत श्रम और धन खर्च किया। वे उनके साथ बेतिया भी गए।
चम्पारण आंदोलन में बद्री अहीर की भूमिका को देख कर उस समय के अखबारों ने उनके बारे में खूब लिखा।
खुद गांधी जी ने बद्री जी के बारे में अपने लेखों और संस्मरणों में जम कर तारीफ की।
एक तरह से शुरू के दौर में बद्री जी ने गांधी के लिए वही काम किया जो यूसुफ बरफानी ने नेता जी सुभाष के साथ किया था।
मगर खेद है कि इतिहास में बद्री अहीर ही नहीं यूसुफ को भी उनका असली मुकाम नहीं मिला।
यश भारतीय की फेसबुक वॉल से।
मल्हार मीडिया ब्यूरो।
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