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सैकड़ों कहानियां 6×9 इंच के पन्ने में एक लाइन जितनी कब्र में दफ्न होंगीं

वीथिका            Jan 01, 2022



परेश नागर।  

आखरी शाम 2021....
आज साल का आखिरी दिन है फिर इस मुश्किल साल की विदाई हो जानी है,एक मुल्क,एक विश्व,एक सभ्यता के तौर पर कितना मुश्किल गुज़रा है।  

ये साल ये इतिहास में लिखा जाएगा लेकिन एक इंसान एक परिवार के तौर पर लोगों ने क्या क्या झेला है वो कहानियां कभी सामने नहीं आ पाएंगी।

किसकी एक जोड़ी चप्पल ने कितने हज़ार मील जमीन नापी कौन जानता है?

किसके पेट में अन्न कितने दिन की छुट्टी पर रहा कौन जान पायेगा?

किसने अपने प्रियजन को बिना मुंह तक देखे आखिरी अलविदा कहा किसे पता होगा? किसने ड्यूटी के लिए अपने छोटे छोटे बच्चों और घड़ी की छोटी बड़ी सुईयों को इग्नोर किया कौन जानेगा?  

ऐसी सैकड़ों कहानियां अखबारों ने छापीं हमतक पहुंची लेकिन ऐसी हज़ारों कहानियां भविष्य में लिखी गई किसी किताब के 6×9 इंच के पन्ने में '2021 एक बुरा साल था' मात्र एक लाइन जितनी कब्र में गुमनाम दफ्न होंगीं।

ये साल उदासियों मायूसियों दूरियों मातमों और मक्कारियों के लिए याद किया जाएगा,बेबसी बेरुखी और तालियों थालियों के लिए याद किया जाएगा,सरकारों की शून्य जवाबदेही और सिस्टम के टोटल फेल्योर के लिए याद किया जायेगा।

इस साल ने उस मुहावरे को भी चरितार्थ किया जो कहता है कि 'दिनों को वो बहुत कुछ पता नहीं होता जो साल हमें बता देते हैं।

इस साल ने बताया कि वो पैसा जो हर रोज़ हम दिखावे और लग्जरी लाइफस्टाइल को मेंटेन करने में फ़िज़ूल ही ख़र्च कर रहे हैं, वो कितना कीमती है। इस साल ने ये बताया के शौक और सेविंग्स के बीच संतुलन कितना ज़रूरी है।

डूबते व्यापार और छूटती नौकरियों ने ये भी बताया कि वोट डालते वक़्त भी नफे नुकसान का उतना ध्यान रखना चाहिए जितना म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करते टाइम रखते हैं।

लेकिन इस साल ने ये भी बताया कि इंसान कितना जीवट और मददगार जीव है। लॉकडाउन में पुलिस की लाठियां खाते लोग भी दूसरों की मदद को निकले थे।

अपनी जमापूंजी के आखिरी सिक्के भी किसी अंजान की थाली में निवाला बना के पहुंचाये गये।

जानलेवा वायरस के खतरे के बीच अंजान मरीजों और लाशों को कंधे दिए गए। अपनी और परिवार की सुरक्षा दांव पर लगा कर लोगो को घरों में पनाह दी गई।

खुद भीख मांग कर दूसरों की मदद की गई,गार्जियन बनकर जिम्मेदारी ली गई किसी की बिगड़ी बनाने की।

हर तरफ नकारात्मक और नुकसान बिखरा के जाता ये साल हमें एक छोटी मगर चमकदार उम्मीद की किरण भी देकर जा रहा है,वो उम्मीद है साथ की।

अगर साथ दिया जाए और साथ लिया जाए तो मुश्किल से मुश्किल वक़्त भी आसानी से गुज़र ही जाता है।  

प्यारे 2022 तुम यकीनन उम्मीदों का साल होगे क्योंकि जितनी नाउम्मीदी इस दुनिया मे पॉसिबल है सब जी ली गई है 2021 में।

मैं चाहता हूं भविष्य में लिखी जाने वाली उसी किताब के उसी 6×9 इंच साइज़ वाले आखिरी पन्ने पर 2022 को नई शुरुआत नई उम्मीदों वाले साल के तौर पर याद किया जाये।

अलविदा 2021

 



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