मल्हार मीडिया डेस्क।
बचपन हर किसी की ज़िंदगी का सबसे मासूम और खुशनुमा वक़्त होता है। ना ऑफिस जाने की चिंता, ना काम की टेंशन, ना टैक्स भरने का स्ट्रेस और ना ही बॉस की चिक-चिक।
आप जो भी चाहते हैं, आपको मिल जाता है, सारी जरूरतें और ख्वाहिशें कहते ही पूरी हो जाती हैं। गेम्स से लेकर कैंडीज़ तक, ये छोटी-छोटी बातें हमारी बड़ी-बड़ी खुशियों की वजह होती थीं।
हालांकि समय बदल गया है और आज की जेनरेशन के बच्चों को फोन से फुर्सत ही नहीं कि वो बाहर खेल के मैदान में जाकर खेलें।
एक समय था जब क्रिकेट खेलने के लिए लकड़ी के बैट-बॉल होते थे, एक फुटबॉल जिससे पूरे मोहल्ले के बच्चे खेल लेते थे, दिनभर टीवी के सामने बैठकर शोज़ देखने में हमारी शाम ढ़लती थी, आइसक्रीम और चॉकलेट की मिठास मुंह में घुलती थी।
हमें यकीन है कि 90 के दशक के हर बच्चे ने ये चीजें महसूस की होंगी।
क्योंकि मेरा बचपन भी 90 के दशक में ही गुजरा, मैं कह सकता हूं कि उस समय हम सभी लोगों की कुछ ऐसी अजीब ख़्वाहिशें हुआ करती थी, जो कभी पूरी नहीं हुई और जिन्हें कभी कोई पूरी कर भी नहीं सकता था।
ये ख़्वाहिशें हमें इडियट बॉक्स (टीवी) के उन शोज़ और फिल्मों से मिली थीं जिन्हें हम दिनभर देखा करते थे। मैं शर्त लगा सकती हूं कि आप इन्हें पढ़ने के बाद ज़रूर खुद से रिलेट कर पाएंगे।
शाका लाका बूम-बूम की पेंसिल
अगर आपने यह टीवी शो देखा है तो आप 90 के दशक के लकी किड्स में से हैं। स्टार प्लस पर ब्रॉडकास्ट होने वाला शाका लाका बूम-बूम शो हम सभी का फेवरेट था।
इस सीरियल के किरदार संजू के पास जो पेंसिल थी, वह हम सभी की ख़्वाहिश हुआ करती थी। वो ही पेंसिल लाने के लिए हम अपने पैरेंट्स से ज़िद करते थे ताकि हम जो चाहे उस पेंसिल से बनाएं और वो हमें मिल जाएं।
मिस्टर इंडिया की घड़ी
यह फिल्म देखने के बाद आप जरूर ही अनिल कपूर के फैन बन गए होंगे। फिल्म मिस्टर इंडिया में अनिल कपूर ने एक घड़ी पहनी है, जिसे पहनने के बाद वह गायब हो जाते थे, उस घड़ी को पाने की इच्छा आपको भी जरूर हुई होगी। कितनी ख्वाहिश होती थी कि बस वो घड़ी मिल जाए, तो हम किसी भी बोरिंग क्लास से या किसी विषय के क्लास टेस्ट बचने के लिए, जब मन करें तब गायब हो जाया करें।
हैरी पॉटर का इनविज़िबल केप
अगर आपने बचपन में हैरी पॉटर सीरीज़ का पहला पार्ट देखा है तो आप जान ही गए होंगे कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं। मिस्टर इंडिया की घड़ी की तरह ही हैरी पॉटर का इनविज़िबल केप भी समान काम ही करता है बस अंतर इतना है कि हम इसे गायब होने के अलावा किसी को डराने में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे अगर आप इसे अपने सिर को छोड़कर बाकी शरीर पर ओढ़ेंगे तो बस आपका सिर दिखाई देगा जो किसी को भी डरा सकता है। क्या आप अपने बचपन में नहीं चाहते थे कि ये केप आपके पास भी होना चाहिए?
अलिफ-लैला का जिन्न
दूरदर्शन पर ब्रॉडकास्ट होने वाला यह जादुई शो हम सभी का पसंदीदा था। इस शो को देखने के बाद हम सभी की चाहत थी कि हमारे पास भी ऐसा चिराग होना चाहिए जिससे एक बड़ा सा जिन्न निकले और हमसे कहें, “हुकुम मेरे आका”। सोचो हमारे पास अगर ऐसा कोई जिन्न होता तो क्या हमें उबर, ज़ोमैटो और अमेज़न की जरूरत होती?
शक्तिमान बनने की इच्छा
आज बेशक लोगों को ‘बाहुबली’ और ‘द हल्क’ बच्चों को पसंद हो, लेकिन बचपन में शक्तिमान ही हमारा रोल मॉडल हुआ करता था। हम सभी चाहते थे कि काश हम भी शक्तिमान की तरह उड़ सकें। इस टीवी कैरेक्टर को हमने इतना रियल मान लिया था कि हम लोग हर ग़लत काम को करने से पहले सोचते थे कि ‘शक्तिमान’ आएगा तो हमें जरूर डांटेगा।
रोबोट-करिश्मा का करिश्मा
इसमें करिश्मा एक छोटी सी बच्ची होती है, जो इंसान नहीं बल्कि रोबोट थी। इस शो का एक कैरेक्टर होता है विक्रम जो वैज्ञानिक है, वह इस रोबोट को बनाता है। करिश्मा कई तरह के ऐसे करतब करती है जो हम चाहते थे कि काश हम भी कर पाते और इसीलिए इस शो को देखने के बाद हमारी चाहत होती थी कि हमारे पास भी वह रोबोट हो, जिससे हम अपना स्कूल होमवर्क कराएं, बैग लगवाएं और रूम साफ कराएं और खुद आराम करें। इन शोज़ की क्लीन कॉमेडी हमें ख़ूब हंसाती थी।
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