बांधवगढ़ से नवनीत धगट।
मध्यप्रदेश के उमिरया जिले में स्थित टाइगर रिजर्व के ताला जोन में बांधवगढ़ पहाड़ की लगभग आधी ऊंचाई पर खुले आकाश के नीचे, सघन जंगलों के बीच, एक ही बलुआ पत्थर से निर्मित लेटे हुए भगवान विष्णु की 35 फुट की विशाल प्रतिमा ।
(मोबाइल नेटवर्क ना मिल पाने के कारण स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई का अनुमान नहीं मिल सका ।)
सात फनों वाले शेषनाग पर लेटे हुए विष्णु जी की यह प्रतिमा अनेक जिज्ञासाओं से मन भर देती है । 10 वीं शताब्दी में (लगभग एक हजार साल पहले ) ये प्रतिमा क्षेत्र के कल्चुरी राजा युवराज देव के मंत्री गोल्लक द्वारा बनवाया गया था । प्रतिमा का निर्माण काल भारत में विदेशी संस्कृतियों के छुट-पुट आगमन की शुरुआती शताब्दियों का रहा होगा ... । सीमित प्राकृतिक क्षरण के अलावा प्रतिमा के मानवजनित विखंडन के कोई चिन्ह नहीं ।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि भगवान राम ने वन गमन के समय यहां कुछ समय व्यतीत किया था ।
त्रिमूर्ति में से एक भगवान विष्णु को स्वास्थ्य और समृद्धि का संरक्षक माना गया है । प्रतिमा के चरणों से होकर पहाड़ी जल की अक्षय धाराएं निरंतरित हैं । आगे चलकर यही जल स्त्रोत स्थानीय चरण गंगा नदी का स्वरूप ग्रहण करती है । पुराणों में इसका वर्णन वेत्रवाली के नाम से आता है ।
नीचे उतरते हुए कुछ दूरी पर पहाड़ को काट कर एक पंक्ति में बनाई हुई गुफानुमा आकृतियों के बारे में स्थानीय गाइड कुछ ज्यादा बता नहीं पाते। शायद पहाड़ के शीर्ष पर बने राजा के गढ़ की सुरक्षा चौकियां,या अस्तबल.. ऐसी ही एक गुफा में ऑयल पेंट से अंकित शब्द कचहरी ? किन्हीं प्राचीन साधकों के साधना स्थल ?
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