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यादें:स्टेनगन के साथ जॉगिंग करते हेड साहब

वीथिका            Mar 22, 2022


शैलेष शर्मा।
आज वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार श्री विनोद कापड़ी द्वारा 20 वर्षीय प्रदीप मेहरा का मध्य रात्रि दौड़ता हुआ वीडियो वायरल हो गया है।

ये बच्चा प्रतिदिन अपनी नौकरी खत्म कर दौड़ने का अभ्यास करता है क्योंकि उसका उद्देश्य सेना में भर्ती होने का है। लेकिन आज जो घटना आपको बताने जा रहा हूँ वो इस घटना से कुछ मिलती जुलती है। बस संदर्भ थोड़ा सा अलग है।

बात 1995 की है तब मुकेश नायक मप्र के उच्च शिक्षा और खेल मंत्री हुआ करते थे,तब उनके ऑफिस से कर्मचारियों को छुट्टी मिलते—मिलते रात 11:30 और कभी—कभी 12:00 भी बज जाते थे।

नायक साहब का एक गनमैन हुआ करता था पुराणिक। एक बार मैं और पुराणिक लगभग पौने बारह बजे 74 बंगले के B-4 आवास से निकले।

मैं अपनी two wheeler पर था तो क्या देखता हूँ कि रेड क्रॉस अस्पताल के पास पुराणिक अपनी स्टेन गन टांगे जॉगिंग करता हुआ चला जा रहा है।

तब मैंने पुराणिक को लिफ्ट ऑफर की तो वे बोले "नहीं ये तो मेरा रोज का काम है,आप आज लिफ्ट दे दोगे, कल का क्या होगा?" मैं बोला "कल फिर लिफ्ट दे दूंगा,आइए बैठ जाइए।

लेकिन पुराणिक जी माने नहीं,तब मैंने पूछा "दादा कहाँ तक भाग कर जाओगे तो वे बोले "जेल पहाड़ी होते हुए जहांगीराबाद" मैं उनका जबाब सुन कर आश्चर्य में डूब गया और मैं बोर्ड ऑफिस तिराहे से हकीम होटल के सामने से होता हुआ अपने घर अरेरा कॉलोनी निकल गया।

कुछ सालों बाद ऐसी ही किसी रात जॉगिंग करते पुराणिक जी एक थैले में स्टेन गन लपेटे दौड़े चले जा रहे थे,जेल पहाड़ी पर एक सलीम भाईजान की चाय की टपरी हुआ करती थी।

वहां छः-सात लड़के बैठा रहते थे और वे पुराणिक जी का वहां से गुजरने का इंतज़ार करते थे वे पुराणिक के पहुंचते ही उन्हें छेड़ने के उद्देश्य से पूछते "अरे!! हेड साहब टाइम क्या हुआ है?"

तब पुराणिक जी थैले में हाथ निकालते और टाइम बताते उऔर फिर थैले को हाथ लपेट कर स्टेन गन थामे दौड़ते हुए निकल जाते और इधर उनके पीछे वो लड़के मजे लेकर हंसते रहते थे।कुछ दिनों बाद पुराणिक जी को इस बात का अहसास हो गया कि ये लड़के टाइम पूछने के बहाने उनके मजे लेते है सो वे धीरे धीरे इन लड़को से चिढ़ गये।

एक रात साढ़े ग्यारह बजे पुराणिक जी दौड़े चले आ रहे थे,सलीम मियां की दुकान पर बैठे लड़को ने फिर टाइम पूछा तो गुस्से में आग बबूला पुराणिक जी बोले "ले साले आज तेरा टाइम पूरा हो गया है।

ये कहते हुए उन्होंने अपने थैले में छिपी स्टेनगन निकाल ली और गुस्से में उस गन से तड़ातड़ गोलियां चलने लगीं जिसे रोकना अब पुराणिक जी के बस में भी नहीं था।

गोलियों से बचने के लिये वो लड़के बड़ी—बड़ी भगोने या जिसको जहां जहां मौका मिला छिप गया। किस्मत से कोई मौत नहीं हुई,बाद में पुराणिक जी करीब छः महीने के लिए निलंबित भी हुए और दोबारा बहाल होने के बाद उन्हें स्टेन गन की बजाय छोटी पिस्टल दी गई।

लेकिन इस दुर्घटना के बाद महीने भर सलीम मियां की टपरी बंद हो गई और जब खुली तो वहां बैठे लड़के रात दस बजे के बाद वहां से निकल लेते थे क्योंकि उन्हें डर था कि हेड साहब दौड़ते हुए आते ही होंगे।

 



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