पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निकटस्थ उद्योगपति डॉ रमेश बाहेती ने किया रहस्योदघाटन
इंदौर से कीर्ति राणा।
बाबरी मस्जिद ध्वंस (6 दिसंबर 1992) के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव और उनकी सरकार में वरिष्ठ सहयोगी मंत्री अर्जुन सिंह के संबंधों में जो कटुता आई, फिर वह मर्त्युपर्यंत भी दूर ना हो सकी।
नरसिंहराव को अर्जुन सिंह जो पत्र लिखते थे उनकी भाषा इतनी तीखी और विचलित करने वाली होती थी कि राव न ठीक से खाना खा पाते और न चैन की नींद सो पाते थे।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नजदीकी-देश के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक इंदौर के डॉ रमेश बाहेती ने यह रहस्योदघाटन डॉ वेद प्रताप वैदिक से जुड़ी यादों को लेकर किया।
डॉ वैदिक से अपनी 62 वर्षों की मित्रता को याद करते हुए डॉ बाहेती बोले 6 दिसंबर 92 को नरसिंहराव के प्रधानमंत्री रहते बाबरी ध्वंस होने को लेकर उनके सहयोगी मंत्री अर्जुन सिंह उनसे बेहद खफा हो गए थे।
बढ़ते मतभेदों की वजह अर्जुन सिंह का तीखी भाषा में राव को लगभग हर रोज अंग्रेजी में पत्र लिखना भी था।
नरसिंहराव ने अपने पत्रकार मित्र डॉ वेद प्रताप वैदिक को अपने तनाव का कारण बताते हुए कहा था कि अर्जुन सिंह के पत्रों की भाषा से मैं विचलित हो जाता हूं। तब डॉ वैदिक ने उनसे कहा था अर्जुन सिंह सिर्फ एक व्यक्ति की ही बात मान सकते हैं और वो हैं मेरे मित्र डॉ रमेश बाहेती।
एक सुबह डा वैदिक ने फोन किया और डॉ बाहेती से कहा तुरंत दिल्ली आ जाओ, वो दिल्ली पहुंच गए। वैदिक जी ने अपना मतंव्य बताया कि देश के नंबर वन (राव) और नंबर दो (सिंह) में संबंध मधुर हो जाए तो यह देश के विकास के लिहाज से भी बेहतर होगा।
उनके इस सुझाव से सहमति के साथ मेरा मानना था कि मेरे प्रयास से यदि दो घोर विरोधियों में मित्रता हो जाती है तो क्या गलत है।
डॉ वैदिक के सुझाव के मुताबिक वो (डॉ बाहेती) अर्जुन सिंह से मुलाकात के लिए उनके बंगले पहुंचे तो सिंह ने आश्चर्य से पूछा पिछले सप्ताह तो मिल कर गए हो, ऐसा क्या हो गया कि फिर आना पड़ा?
जब उनसे राव के प्रति नाराजी दूर करने संबंधी बात करना चाही तो अर्जुन सिंह ने पूरी बात सुने बिना डॉ बाहेती को स्पष्ट कह दिया इट्स नन ऑफ योर बिजनेस।
लाभ मंडपम में हुई डॉ वेदप्रताप वैदिक की श्रद्धांजलि सभा में डॉ बाहेती के साथ ही अन्य निकटतम मित्रों भाजपा नेता-पूर्व मंत्री विक्रम वर्मा, कवि सरोज कुमार, पत्रकार श्रवण गर्ग, पं कृपाशंकर शुक्ला आदि ने कॉलेज लाइफ में डिबेटर रहे डॉ वैदिक के हिंदी प्रेम, हाफिज सईद के इंटरव्यू, वैश्विक हस्तियों से मुलाकात से जुड़े किस्से सुनाए।
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