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बागेश्वर धाम के पहले बुंदेलखंड में लगता था ब्रह्मेश्वर धाम

खास खबर            Mar 23, 2023


पंकज चतुर्वेदी।

बुन्देलखण्ड में जैसे बागेश्वर धाम में लोगों की भीड़ जुड़ रही है, वैसे ही दो साल पहले यहीं एक और दरबार लगता था। कस्टमर दो जगह जा रहे थे।बागेश्वर वाला गर्ग नेता- अफसर के त्रिकोण में सेट हो गया सो बीते साल फरवरी में उसकी दुकान बंद हो गई।

बीते एक साल में आपने बागेश्वर सरकार के दिव्य दरबार और चमत्कारों की कई कहानियां सुनी होंगी या सोशल मीडिया पर देखी होंगी।

बागेश्वर धाम में अब देशभर के लोग पहुंच रहे हैं। मंगलवार और शनिवार को तो यहां इतनी भीड़ होती है कि पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।

एक साल पहले तक यहां इतनी भीड़ नहीं आती थी, ये भीड़ होती थी ब्रह्मेश्वर धाम में बागेश्वर धाम से 7 किलामीटर दूर टपरियन गांव के बालाजी मंदिर में एक और दरबार लगा करता था।

यहां भी लाल, पीले, काले रंग के कपड़ों में नारियल बांधकर अर्जी लगाई जाती थी। सैकड़ों भक्त आते थे। प्रसाद और फूलों की दुकानें सजती थीं।

मंगलवार और शनिवार को ब्रह्मेश्वर धाम में लगने वाले दिव्य दरबार में वैसे ही कथित चमत्कार हो रहे थे, जो अब बागेश्वर धाम में हो रहे हैं।

20 साल के पीठाधीश्वर लवलेश तिवारी भी 26 साल के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरह लोगों के मन की बात पर्ची पर लिख दिया करते थे।

आसपास के लोग खुश थे कि ब्रह्मेश्वर धाम आने वाले भक्तों की जरूरतों से उन्हें रोजी रोटी का नया जरिया मिल गया है।

हाईवे से 500 मीटर भीतर तक कच्चे रास्ते पर लोगों की भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। अचानक एक दिन लवलेश महाराज पर दुष्कर्म की FIR हुई। महाराज को पुलिस ने गिरफ्तार किया और ब्रह्मेश्वर धाम बंद हो गया।

यहां की भीड़ बागेश्वर धाम पहुंच गई। दबी जुबान कई लोग कहते हैं कि ब्रह्मेश्वर धाम को बंद करने के लिए साजिश रची गई थी।

गंज के पास स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर धाम सरकार के पुजारी को खजुराहो पुलिस ने गिरफ्तार किया । पुजारी पर महिला का दुष्कर्म करने का आरोप जेल भेजा।

महीनों बाद जमानत हुईथी। अब ब्रह्मेश्वर धाम गुम है। अब वह छोटे स्तर पर बागेश्वर से कोई 50 किलोमीटर दूर लौंडी जिसे अब लवकुश नगर कहते है, में दुकान चला रहा है लेकिन बहुत छोटे स्तर पर।

सुना है बगल के जिले टीकमगढ़ में अब कोई चुटियाधारी पर्चे बना रहा है, धीरेंद्र गर्ग की तरह। देखते हैं इसकी दुकान कैसे बन्द होती है।

राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट।

लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।

 



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