मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्य प्रदेश स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर शहडोल जिले से सामने आई है।
शव वाहन न मिलने के कारण एक पिता को अपनी बेटी का शव बाईक से ले जाना पड़ा।
हालांकि जब वायरल हुई इस घटना की खबर कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली तो उन्हें तत्काल दुखी पिता से भेंटकर शव वाहन की व्यवस्था की।
शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने बताया कि सोमवार की रात किसी शख्स के मोटर सायकिल पर शव ले जाने की सूचना मिली थी।
कलेक्टर ने परिजनों के पास पहुंचकर शव को बाइक में जाने से रोका और जिला अस्पताल शहडोल के सिविल सर्जन को तत्काल बच्ची के शव को वाहन भेजने के निर्देश दिए।
सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को शव वाहन उपलब्ध करा कर उन्हें उनके गांव भेजा गया।
पीड़ित परिजनों के लिए समाजसेवी प्रवीण सिंह ने भोजन और पानी की व्यवस्था की। कलेक्टर वंदना वैद्य ने अपने पास से भी पीड़ित परिजनों को आर्थिक सहायता दी थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के लक्ष्मण सिंह ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी को तबियत बिगड़ने पर इलाज के लिए 12 मई को जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था।
माधुरी सिकल सेल बीमारी से पीड़ित थी। माधुरी का 2 दिन तक जिला अस्पताल में इलाज चलता रहा। इलाज के बाद भी माधुरी की जान नहीं बच सकी।
बताया जा रहा है कि माधुरी की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने शव को अपने घर तक ले जाने के लिए सरकारी शव वाहन लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली।
पीड़ित पिता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उन्होंने जिला अस्पताल शहडोल के प्रबंधन से शव वाहन मांगा था।
अस्पताल प्रशासन ने टका सा जवाब दिया कि 15 किमी से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा. आपको खुद बेटी के शव को ले जाने का इंतजाम करना पड़ेगा।
आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से परिजन निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा सकते थे. इसलिए उन्होंने बाइक में ही शव रखकर घर ले जाने का निर्णय लिया। वो लोग शव को मोटरसाइकिल पर रखकर निकल पड़े।
शहर के बीच से शव को मोटर साइकिल पर ले जाने की सूचना शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली तो उन्होंने संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवार को मदद दी।
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