मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में अब तक सफल नहीं हो पाया अविश्वास प्रस्ताव

खास खबर            Mar 12, 2023


मल्हार मीडिया भोपाल।

कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी होली मनाने के लिए स्थगित किए गए मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही शुरुआत रंग पंचमी के बाद सोमवार 13 मार्च से होने जा रही है।

कांग्रेस पार्टी की ओर से विधायक जीतू पटवारी को सस्पेंड किए जाने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।

मध्यप्रदेश का इतिहास बताता है कि विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आज तक सफल नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी गिरीश गौतम की घबराहट बढ़ती जा रही है। इसके चलते आज उन्होंने डॉ मिश्रा को भी बुलाया था। अब देखना यह है कि इस प्रस्ताव पर विधानसभा के भीतर क्या होता है।

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि नियम यह है कि प्रस्ताव प्रस्तुत होने से 14 दिन में उसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए सदन में प्रस्तुत किया जाता है। यदि यह स्वीकार हो जाता है तो फिर चर्चा के लिए दस दिन के भीतर तिथि निर्धारित करनी होती है।

जब अविश्वास प्रस्ताव चर्चा के लिए आता है तो अध्यक्ष के स्थान पर किसी सदस्य को पीठासीन अधिकारी बनाया जाता है। उस समय वे सदन में उपस्थित रह सकते हैं और उन्हें मत देने का भी अधिकार रहता है। सामान्यत: प्रस्ताव वापस ले लिए जाते हैं।

3 सितंबर 1965 और 1 अप्रैल 1966 कोे अध्यक्ष पद से पंडित कुंजीलाल दुबे, 19 मार्च 1970 और पांच अप्रैल 1971 को काशी प्रसाद पांडे, 18 सितंबर 1980 को उपाध्यक्ष रामकिशोर शुक्ल को पद से हटाने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी और ये सभी अस्वीकार हो गए थे।

20 जून 1986 को तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को हटाने के लिए सूचना दी गई और फिर उसे वापस ले लिया था। इसके अलावा भी कुछ अन्य अध्यक्षों को पद से हटाने के लिए अविश्वास संकल्प की सूचना दी गई पर उन्हें वापस ले लिया गया था।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश के वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि इस अविश्वास प्रस्ताव से उनका कोई नुकसान नहीं होगा परंतु फिर भी एक घबराहट बनी हुई है।

संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज उनके घर जाकर मुलाकात की और अपना संकल्प दोहराया।

डॉ मिश्रा ने इस मुलाकात का फोटो जारी करते हुए कहा कि वो रंग पंचमी के अवसर पर मिलने गए थे परंतु साझा किया हुआ फोटो गवाही देता है कि दोनों ने एक दूसरे को गुलाल का टीका तक नहीं लगाया। श्री गिरीश गौतम के चेहरे पर चिंता की लकीरें कोई भी पढ़ सकता है।

 

 



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