कीर्ति राणा।
भाजपा की चौथी सूची में घोषित नामों ने कई को टेंशन फ्री कर दिया है। पहला टेंशन तो शिवराज सिंह चौहान का ही कम हो गया है। लगातार तीन सूची घोषित हुईं लेकिन किसी में भी उनका नाम नहीं होने पर उनके समर्थक चिंतित थे कि टिकट मिलेगा या नहीं।
इस चिंता की वजह भी सही थी क्योंकि इस बार शिवराज सिंह को पार्टी ने तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त कर रखा है और सारे सूत्र दिल्ली के हाथ में है। अब जब उनका टिकट हो गया है तो बुधनी सहित प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के समर्थकों का खुश होना लाजमी है।
दूसरा टेंशन दूर हुआ है गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का।वो दतिया से ही चुनाव लड़ेंगे यह दावा तो लंबे समय से कर रहे थे लेकिन यह सूची घोषित होने से पहले उन्हें जिस तरह दिल्ली दौड़ लगाना पड़ी उससे माहौल बन गया था कि इस बार उन्हें झटका लग सकता है।सूची घोषित होने से पहले उन्होंने दिल्ली में जमावट मजबूत की उसका ही नतीजा रहा कि चौथी लिस्ट में शिवराज सिंह के साथ उनके नाम की भी घोषणा हो गई।
शिवराज सिंह पिछले चुनाव में अरुण यादव को हरा चुके हैं, इस बार यादव की विधानसभा चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं है, बुधनी से कांग्रेस चाहे जिसे टिकट दे लेकिन जीत शिवराज सिंह की तय मानी जा रही है। नरोत्तम का टिकट मिलने वाला टेंशन जरूर कम हुआ है किंतु अब यह टेंशन शुरु हो गया है कि दतिया से कांग्रेस किसे मैदान में उतारेगी।कल तक जो उनके राजदार थे अब कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं इनमें से किसी को टिकट मिला तो उन्हें परेशानियों से जूझना पड़ सकता है।
बाकी के टेंशन की बात करें तो इंदौर में रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ का टेंशन भी कम हो गया है। पहले मेंदोला समर्थक मान रहे थे कि कहीं आकाश का नाम सेफ सीट दो नंबर से फायनल कर के पार्टी दादा दयालु के समक्ष एक, तीन, या पांच नंबर या आसपास की किसी सीट से लड़ने का प्रस्ताव ना रख दें। उनके समर्थक विजयवर्गीय को एक नंबर से टिकट मिलने के बाद से ही सर्वाधिक खुश इसलिए भी थे कि अब आकाश का पत्ता तो पार्टी ने ही साफ कर दिया।
क्षेत्र क्रमांक तीन के कार्यकर्ता भोपाल में नेताओं से मिल कर दबाव बनाने जरूर गए थे कि आकाश को भी टिकट दिया जाए किंतु पार्टी के मापदंडों को गहराई से जानने वाले समझ चुके थे कि एक ही शहर में एक ही परिवार से पिता के बाद पुत्र को भी टिकट मिलना संभव नहीं। मेंदोला खुश हैं तो इसलिए कि क्षेत्र क्रमांक दो की उनकी टीम अब उनके लिए ही काम करेगी।
विधायक मालिनी गौड़ को पुन: टिकट मिला है तो इसे शिवराज सिंह कोटे में माना जा सकता है। क्षेत्र क्रमांक चार से मालिनी की जगह उनके पुत्र या परिवार के किसी अन्य सदस्य को टिकट मिलता तो पार्टी में रायता फैलना तय था क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता कई स्तर पर गौड़ परिवार की आतंक कथा का चिट्ठा सप्रमाण भोपाल-दिल्ली के नेताओं तक भेज चुके थे।
राज्यसभा के पूर्व सदस्य मेघराज जैन भी गौड़ परिवार के खिलाफ यकायक मुखर हो गए थे। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने मालिनी पर भरोसा करना बेहतर समझा है।अब कांग्रेस को भी नए सिरे से मंथन करना ही पड़ेगा कि मालिनी के कद के मुकाबले राजा मंधवानी दमदार हैं या अक्षय जैन बम या भाजपा में सेंधमारी कर किसी दमदार को मैदान में उतारें।
अब टेंशन है विधायक उषा ठाकुर का। अभी वे महू से विधायक-मंत्री हैं।वे अब महू की अपेक्षा इंदौर के किसी क्षेत्र से लड़ने की इच्छुक हैं। बीच में जारी हुई एक फर्जी वॉयरल सूची में उन्हें धार से लड़ाने की जानकारी सामने आई थीं।
हर बार नए क्षेत्र से लड़ने और जीत दर्ज कराने वाली उषा ठाकुर ने धार से नाम चलने पर कहा भी था पार्टी ही तय करती है हमें लड़ाना है या नहीं। टिकट जहां से भी मिले, जीत का आधार क्षेत्र के कार्यकर्ता ही रहते हैं। अब उषा ठाकुर को पार्टी लड़ाना ही चाहे तो क्षेत्र क्रमांक पांच और तीन ही बचता है।
तीन से ताई पुत्र मिलिंद महाजन ने उम्मीद पाल रखी है। नगर भाजपा अध्यक्ष के रूप में सफल अध्यक्ष माने जा रहे गौरव रणदिवे के समर्थकों को भरोसा है कि पांच नंबर से पार्टी उन्हें ही प्रत्याशी घोषित करेगी।
इस चौथी सूची में शिवराज सिंह समर्थकों में से अधिकांश विधायकों-मंत्रियों की तरह ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को पार्टी ने फिर से अवसर दिया है। मंत्री तुलसी सिलावट को सांवेर से टिकट मिला जरूर है लेकिन इस बार भी वे 53 हजार मतों से जीत ही जाएंगे इसमें संशय है।
कारण इस बार ना मेंदोला का साथ है ना राजेश सोनकर का, वो सोनकच्छ में सक्रिय हैं ।रही बात सावन सोनकर की तो वे सांवेर से दावेदारी कर रहे थे, क्या अब वे पूरी ईमानदारी से सिलावट के पक्ष में काम कर पाएगे? सिलावट के सामने एक बड़ा संकट पुत्र चिंटू को लेकर क्षेत्र के लोगों में व्याप्त असंतोष भी है।
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