धरमपुरी से इब्राहिम रिज़वी।
सरदार सरोवर परियोजना के बेकवाटर धरमपुरी सहित धार -बड़वानी जिले के डूब प्रभावितों को 2004 में ही आवासीय भूखंड आवंटित किए गए थे और उस वक्त भूखंड के साथ अधिकार पत्र दिए थे।
21 वर्ष बीतने के बाद भी डूब प्रभावितों को भूखंड की रजिस्ट्री व भूखंड अधिकार प्राप्तकर्ता की मृत्यु के बाद उनके वारिसों को भूखंड का नामांतरण नहीं हो पाने और पुनर्वास स्थल के विकास को लेकर धार विधायक नीना विक्रम वर्मा ने मध्यप्रदेश विधानसभा में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को रखा।
दो दशक पुरानी और महत्वपूर्ण समस्या को धरमपुरी विधायक नीना विक्रम ने सदन में संवेदनशीलता के साथ रखा।
मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव व नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने सदन को आश्वस्त करते हुए धरमपुरी सहित धार -बड़वानी जिले के डूब प्रभावितों के लिए कहां कि प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसके सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।
सरदार सरोवर परियोजना के बेकवाटर से डूब प्रभावित धरमपुरी व धार और बड़वानी के डूब प्रभावितों को शासन द्वारा 2004 में भूखंड आवंटित किए कर अधिकार पत्र दिए थे। लेकिन 21 वर्षों के बाद भी प्रभावितों को न तो रजिस्ट्री के अधिकार मिले और न ही भूखंड प्राप्तकर्ता की मृत्यु होने पर वारिसों को भूखंडों का नामांतरण हो रहा है। प्लॉट की रजिस्ट्री न होने से मकान निर्माण के लिए डूब प्रभावितों को बैंक लोन नहीं मिलता।
जवाब में राज्य मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि शासन ने मालिकाना हक दिए जाने की कार्यवाही कर दी है और जिन डूब प्रभावितों की मृत्यु हो चुकी है और जो वारिस हैं और उन्होंने उचित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हैं तो उनके नामांतरण की कार्यवाही करके उनके भूखंड के आवंटन पत्र सरकार प्रदान कर रही है।
और अभी तक आठ प्रकरणों में विधिक वारिसों को भूखंड प्रदान करने का काम सरकार ने किया है। दूसरे प्रश्न भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं की जा सकती? के जवाब में कहा कि भू -स्वामित्व योजना आई है इसके अंतर्गत इन सारे भूखंडों को भू-सवामित्व योजना के अंतर्गत लेकर भविष्य में सरकार रजिस्ट्री का प्रावधान भी करने वाली है।
मंत्री श्री लोधी ने बताया कि सरदार सरोवर परियोजना में जहां भूखंड आवंटित किए गये थे,उस जगह को आबादी घोषित करने की प्रक्रिया जारी करेंगे। और भू- स्वामित्व योजना जो मुख्यमंत्री ने लागू की है तो भू-सवामित्व योजना के अंतर्गत सभी भूखंड धारकों को उसका मालिकाना हक देने का काम करेंगे।
सभी भूखंड धारकों को मालिकाना हक देने का काम करेंगे और मालिकाना हक मिलने के बाद अगर वह भूखंड का विक्रय भी करना चाहते हैं तो वो कर पाएंगे। कुल मिलाकर यह प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसके सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।
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