मल्हार मीडिया भोपाल।
जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यपद्रेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऑन द स्पॉट निलंबन के एक आदेश पर स्टे ऑर्डर दिया है। मुख्यमंत्री के इस एक्शन के लिए राज्य सरकार को नोटिस भी दिया है।
मामला छिंदवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जीसी चौरसिया का है। मुख्यमंत्री ने उनको 10 दिन पहले मंच से ही निलंबित करने के आदेश दिए थे।
निलंबन आदेश को चौरसिया ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने सस्पेंशन पर रोक लगाते हुए स्टे ऑर्डर दिया है।
यह दूसरी बार है जब चौरसिया को हाईकोर्ट से राहत मिली है, इससे पहले भी CM ने उन्हें पद से हटा दिया था, तब भी चौरसिया हाईकोर्ट से स्टे ले आए थे।
ज्ञातव्य है कि 23 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तब रामाकोना में जनसेवा कार्यक्रम में पहुंचे थे। तब उन्होंने सीएमएचओ चौरसिया को मंच पर बुलाया और उनसे पूछा था- आयुष्मान कार्ड बनाने में देरी क्यों हो रही है?
कितने हितग्राहियों को आयुष्मान योजना का लाभ मिल पाया? इसका जवाब सीएमएचओ नहीं दे पाए थे।
इस लापरवाही पर मुख्यमंत्री ने तत्काल उन्हें सीएमएचओ के प्रभार से हटा दिया था, इसके बाद उन्हें रेडियोलॉजिस्ट के पद पर छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में नियुक्त किया गया था।
लेकिन चौरसिया हाईकोर्ट पहुंच गए थे, जहां से उन्हें स्टे मिल गया था इसके बाद उन्होंने दोबारा अपना पद संभाल लिया था।
इसी प्रकार छिंदवाड़ा के बिछुआ में 9 दिसंबर को हितग्राही सम्मेलन हुआ था। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने जब सीएमएचओ चौरसिया को कार्यक्रम में देखा तो उनके मौजूद होने का कारण पूछा।
मुख्यमंत्री को हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर की जानकारी मिली, इसके बाद उन्होंने मंच से ही सीएमएचओ को सस्पेंड करने का ऑर्डर दे दिया।
सीएमएचओ बुधवार 21 दिसंबर को दोबारा स्टे ऑर्डर लेकर आ गए। हाईकोर्ट में अपने निलंबन को लेकर डॉ. जीएस चौरसिया ने याचिका दायर की थी। बताया था कि उन्हें दो बार सस्पेंड किया जा चुका है, जबकि उनके खिलाफ किसी भी तरह की जांच नहीं हुई।
इसके अलावा वरिष्ठता होने के बावजूद भी उनके जूनियर अधिकारियों को सीएमएचओ का प्रभार दिया गया था। हाईकोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद छिंदवाड़ा जिले के सीएमएचओ को राहत दी है।
गौरतलब है कि सीधे, सरल और सहज दिखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों सख्त रुख अपनाए हुए हैं। बिना प्रोग्राम अचानक किसी भी जिले के किसी गांव में अचानक इंस्पेक्शन करने पहुंच रहे हैं।
मंच से तो कभी फील्ड इंस्पेक्शन के दौरान सीधे जिम्मेदारों पर एक्शन ले रहे हैं।
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