माता-पिता का मामा शिवराज पर भरोसा रहा कायम,बच्चे का इलाज कराएगी सरकार

खास खबर            May 16, 2023


मल्हार मीडिया। 

मैया गोदी के खिलौने नौने राखियो हो मां। बुंदेलखंड का यह प्रचलित देवी भजन है।इसमें देवी मां से बच्चों के लिए प्रार्थना की जाती है।

लेकिन सिस्टम से हताश एक मां ने अपने बच्चे को गोद से नीचे ही फेंक दिया।

ताकि मंच पर बैठे जनता को संबोधित कर रहे मुख्यमंत्री तक वे अपनी तकलीफ पहुंचा सकें। 

कोशिश कामयाब भी हुई और आज 16 मई मंगलवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर रेडक्रॉस अस्पताल बच्चे के इलाज की तैयारी कर रहा है और बच्चे के माता-पिता को भी 10 हजार की आर्थिक मदद पहुंचाई गई।

यह एक मॉं का ही भरोसा था कि जगत मामा उसकी गुहार अनसुनी नहीं करेंगे और बच्चे की जान बच जाएगी।

दरअसल जातीय समाजों के कार्यक्रमों में मजबूर और जरूरतमंद पीछे ही रह जाते हैं। यह सामाजिक व्यवस्था इतनी गैरजिम्मेदार और अव्यवस्थित है कि समाज के ही अपनों के लिए सहायता फण्ड नहीं रख पाती। यह किसी एक की बात नहीं हर समाज की समस्या है।

खैर मुद्दे पर आते हैं घटना दो दिन पहले की है। सागर जिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की उपस्थिति में कुशवाहा समाज का कार्यक्रम जारी थी एक दंपति अपने बच्चे को छाती से लगाकर मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहा था। उन्हें अपने बच्चे के इलाज के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगानी थी।

मगर भीड़ और सुरक्षा घेरे के कारण वे मुख्यमंत्री तक पहुंच पाने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे। बेबस होकर दंपति ने अपने बच्चे को जमीन पर फेंक दिया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का जैसे ही ध्यान गया उन्होंने तुरंत कलेक्टर दीपक आर्य को बुलाकर मामले में संज्ञान लेने को कहा।

इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की वजह माता-पिता, बच्चे का इलाज कराने के लिए सरकारी मदद की गुहार लगाना था।

जब मुख्यमंत्री शिवराज ने बच्चे का इलाज कराने के निर्देश आज 16 मई मंगलवार को जारी कर दिए।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर सागर कलेक्टर दीपक आर्य ने मासूम के माता-पिता को भोपाल भिजवाया।

मुख्यमंत्री शिवराज को  14 मई को को सागर प्रवास के दौरान बच्चे के माता-पिता से उसके दिल में छेद होने की जानकारी मिल गई थी।

बच्चे के माता-पिता को यह पूरा भरोसा था कि मामा से मुलाकात हो जाएगी तो वे उनकी तकलीफ को सुनेंगे और समझेंगे भी। लेकिन, 2 घंटे की मशक्कत के  बाद भी मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाना संभव नहीं हो सका। बीमार बच्चे के इलाज के लिए साढ़े तीन लाख रुपये की जरूरत थी। पेशे से मजदूर मुकेश पटेल इतनी रकम नहीं जुटा पा रहे थे। मुख्यमंत्री के जाने का समय हो रहा था इसी बीच मुकेश आगे बढ़े और मुख्यमंत्री से मिलना चाहा। लेकिन पुलिस बीच में आ गई। बौखला कर मुकेश ने अपने एक साल के बेटे को मंच की तरफ उछाल फेंका। बच्चा जमीन पर जा गिरा। गनीमत रही कि उसे कोई गंभीर चोटें नहीं आई।

यह देखकर मुख्यमंत्री मंच से नीचे आए और पूरी बात सुनी। मुख्यमंत्री ने तुरंत कलेक्टर को इलाज के लिए निर्देश दिया।

सहजपुर निवासी दंपति ने बताया कि एक एकड़ जमीन है। हम मजदूरी करते हैं। इतना पैसा कहां से लाते। नेताओं और अफसरों के चक्कर काटे। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। किसी ने बताया कि तुम्हारे समाज का आयोजन है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आ रहे हैं, उन्हीं को बताओ तो यहां आ गए। लेकिन यहां बात करना मुश्किल हो गया। उन तक पहुंच नहीं पा रहे थे। पुलिस रोक रही थी। जब उनके जाने का सुना तो अचानक जानें क्या हुआ, कुछ समझ नहीं आया और बच्चे को ही फेंक दिया। दंपति का कहना है हमें मामा पर भरोसा कि वे हमारी बात सुनेंगे और बच्चे का इलाज कराएंगे।

बहरहाल मुख्यमंत्री द्वारा सागर जिला प्रशासन को बालक नरेश का तत्काल उपचार कराये जाने के निर्देश पर परिवार को पूर्व से चिन्हित रेडकास सिद्धांता हॉस्पिटल भोपाल में आर.बी.एस.के. चिकित्सक के साथ विशेष वाहन से भेजा गया। यहाँ जाँच के बाद चिकित्सकों ने बालक नरेश की सर्जरी का निर्णय लिया है।

सर्जरी सहित उपचार का पूर्ण व्यय मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना से होगा। जिला प्रशासन सागर द्वारा परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सागर रेडकास सोयासटी से 10 हजार रूपये की सहायता राशि भी प्रदान की गई है।

मध्यप्रदेश के मामा मुख्यमंत्री पर यह जनता अटूट भरोसा ही है कि वह यह मानकर चलते हैं कि अगर मामा तक बात पहुंच गई तो उनकी समस्या जरूर हल हो जाएगी।

इस पूरे घटनाक्रम से एक सवाल यह भी उठता है कि क्यों मुख्यमंत्री या मंत्रियों के कार्यक्रमों में ऐसे लोगों के लिये थोड़ा सा समय नहीं निकालकर व्यवस्था नहीं की जा सकती।

मुख्यमंत्री की सोच ईमानदारी से परवान चढ़ सके, जनता के बीच उनका भरोसा कायम रह सके इसके लिए इस तरह के कुछ उपायों पर विचार किया जाना चाहिए।

 



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