मल्हार मीडिया डेस्क।
मध्यप्रदेश और हरयाणा राज्यों के जजों से साईबर फ्रॉड होने की खबर आ रही है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में एक महिला जज से साईबर ठग ने 22 हजार तो हरयाणा के एक जज के अकाउंट से 24 हजार उड़ा दिए।
हरियाणा के पलवल में साइबर पुलिस ने एक ऐसे साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए लोगों के खातों पर हमला करते हैं और पैसा उड़ा लेते हैं।
ये ठग इतने शातिर हैं कि आम आदमी तो ठीक जज और अधिकारियों को भी नहीं बख्श रहे।
पलवल के एक जज भी इन ठगों के शिकार हो गए। ठगी का तरीका सुनकर किसी के भी होश उड़ जायें. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया.
साइबर ठग गिरोह के बारे में खुलासा करते हुए पलवल डीएसपी विजय पाल ने बताया कि कुसलीपुर स्थित ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स में रहने वाले न्यायाधीश महेश कुमार ने शिकायत दी है कि उनके साथ ऑनलाइन ठगी की वारदात हुई है।
ठगों ने साढ़े 24 हजार की राशि उनके खाते से निकाल ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिसंबर माह में उनके खाते से तीन बार में ये पैसा निकाला गया है।
जज के खाते से यह राशि सात नवंबर, 23 नवंबर और 25 नंबर को निकाली गई, जिसके बाद जज महेश कुमार ने पुलिस में शिकायत दी।
पुलिस ने मामले में जांच शुरू की. सबसे पहले पुलिस ने ठगी के लिए प्रयोग किए गए खातों और मोबाइल नंबरों की जांच की, जांच में आरोपियों की पहचान हो गई।
आरोपी बिहार के जिला अररिया के गांव महलगांव में मेडिकल स्टोर चलाने का काम करता है।
पुलिस द्वारा छापेमारी की कार्रवाई के बाद आरोपी मोहम्मद फोजान ने पलवल की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी लगा दी, जो कि बाद में रद्द कर दी गई।
डीएसपी विजयपाल ने बताया की इस गिरोह में कई सदस्य हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने साइबर क्राइम से चार महीने में ही लाखों रुपये उड़ाए हैं।
खातों की जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने करीब चार महीने लगभग 25 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन किया है.आधार से साइबर ठगी कैसे- यह गिरोह आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टमके जरिए धोखाधड़ी करके फिंगर प्रिंट का रबर क्लोन बना लेते हैं।
इसके बाद ठग पता लगाते हैं कि उक्त व्यक्ति का आधार कार्ड नंबर किसी बैंक खाते से जुड़ा है या नहीं।
इसके बाद वे उन आधार कार्ड नंबरों को शॉर्ट लिस्ट करते हैं जो बैंक खातों से जुड़े होते हैं. इसके बाद साइबर ठग ऑनलाइन अकाउंट बनाते हैं।
इसके उपरांत इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म के ऐप में लॉग इन करते हैं और बायोमैट्रिक डिवाइस एवं रबर फिंगर प्रिंट क्लोन का उपयोग करके लेनदेन शुरू करते हैं।
ट्रांजैक्शन पूरा होते ही पैसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के वॉलेट में चला जाता है, जहां से ठग उस राशि को अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं।
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