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विधानसभा:13,853 रूपये का कर्जदार है प्रत्येक मध्यप्रदेशवासी

खास खबर            Feb 23, 2017


मल्हार मीडिया।
क़र्ज़ लो और घी पियो चार्वाक ऋषि का सिद्धान्त था। लेकिन सरकारों के द्वारा विकास कार्य के लिए क़र्ज़ लेना कोई नई या गलत बात नहीं है। पर जब क़र्ज़ ''घी'' पर खर्च हो तो नागरिकों का सवाल उठाना वाजिब है। ख़ासतौर से तब जबकि मध्यप्रदेशवासी लीटर पेट्रोल पर 21.62 रूपये टैक्स दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में सरकार का जो जवाब आया है वह चौंकाने वाला है। सरकार ने जनता के नाम पर हजारों करोड़ का कर्ज ले रखा है। पिछले साल मार्च तक आंकड़ों पर गौर करें तो मध्यप्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर 13,853.00 रूपये का कर्ज है।

यह आंकड़ा पिछले साल मार्च तक का है जब कुल एक लाख ग्यारह हज़ार करोड़ का क़र्ज़ था। इस पूरे साल में भी सरकार ने लगभग बीस हज़ार करोड़ और क़र्ज़ पर लिए हैं। यह दूसरा तथ्य हालाँकि आज विधानसभा में दी गयी जानकारी में नहीं बताया गया।

प्रश्न और उसका उत्तर विधानसभा की प्रश्नोत्तरी के अनुसार नीचे दिया जा रहा है।

 


प्रश्‍न क्रमांक : 272(तारांकित) दिनांक : 23/02/2017

विभाग का नाम : वित्त
विषय : म.प्र.शासन पर कर्ज की स्थिति।
श्रीरामनिवास रावत : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि -
(क) 31 मार्च 2014, 31 मार्च 2015 व 31 मार्च 2016 की स्थिति में म.प्र. शासन पर कितना कर्ज था ? प्रश्नांकित दिनांक तक म.प्र. शासन पर कितना कर्ज है व 31 मार्च 2017 की स्थिति में म.प्र. शासन पर कुल कितना कर्ज संभावित है ?
(ख) 1 अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 की अवधि में क्या राज्य शासन ने कोई कर्ज लिया है ? यदि हां, तो कितना-कितना, कब-कब व कहां-कहां से ?
(ग) वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में प्रश्नांकित अवधि तक कितनी-कितनी राशि ऋण किश्तों एवं ऋण ब्याज के रूप में अदा की गई है ? कितनी राशि स्थापना एवं पेंशन पर व्य‍य की गई है एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष में कितनी राशि ऋण किश्त व ऋण ब्याज में अदा की जाना है ? उक्त‍ राशि वर्ष 2016-17 के बजट का कितना प्रतिशत है?
(ग) 31 मार्च 2016 की स्थिति में मध्य प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर औसतन कितना कर्ज था एवं 31 मार्च 2017 की स्थिति में कितना संभावित है ?

 

ये आया उत्तर

वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया):
(क) दिनांक 31.03.2014 में रूपये 77413.87 करोड़, 31.03.2015 में रूपये 94979.16 करोड़, 31.03.2016 में रूपये 111101.10 करोड़ का कर्ज शासन पर था। 31.03.2017 की स्थिति में मध्‍यप्रदेश पर कुल कर्ज की स्थिति नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक व्‍दारा प्रेषित वित्‍त लेखों में स्‍पष्‍ट हो सकेगी। जो कि अभी अप्राप्‍त है।

(ख) जी हां। अप्रैल,2016 से जनवरी,2017 की अवधि का वित्‍त लेखा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक व्‍दारा तैयार किया जाना है। अत: विवरण दिया जाना संभव नहीं है।
(ग) वित्‍तीय वर्ष 2015-16 में लिये गये ऋण एवं ब्‍याज भुगतान वित्‍त लेखा 2015-16 के विवरण क्रमांक 6 व 17 पर उपलब्‍ध है, इसी प्रकार वेतन पर व्‍यय का विवरण भाग-दो परिशिष्‍ट-एक उपलब्‍ध है। जो विधानसभा के पुस्‍तकालय में अवलोकनीय है। वर्ष 2016-17 हेतु भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक से वित्‍त लेखा वित्‍त वर्ष की समाप्ति उपरांत प्राप्‍त होगा, जिसमें उक्‍त स्थिति का उल्‍लेख होगा।

(घ) वर्ष 2011 के जनगणना के आधार पर मध्‍यप्रदेश की जनसंख्‍या 7.26 करोड़ थी। जनगणना की वार्षिक वृद्धि दर 2.03 प्रतिशत (दशकीय वृद्धि दर- 20.30 प्रतिशत) के मान से वर्ष 2016 में मध्‍यप्रदेश की अनुमानित जनगणना 8.02 करोड़ प्रक्षेपित होती है। 31.03.2016 की स्थिति में मध्‍यप्रदेश पर कुल रूपये 1,11,101.10 करोड़ का कर्ज था। अत: 31.03.2016 की स्थिति में प्रति व्‍यक्ति कर्ज लगभग रूपये 13,853.00 है। 31.03.2017 की स्थिति में वित्‍त लेखे महालेखाकार से प्राप्‍त नहीं होने के कारण कर्ज की गणना करना संभव नहीं है।



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