मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के शासकीय कर्मचारियों द्वारा राजधानी भोपाल में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर एक बार फिर प्रदर्शन किया गया।
बताया जा रहा है कि इसके पहले प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर भी प्रदर्शन किया गया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे गए।
इस प्रदर्शन में मध्यप्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश वाहन चालक यांत्रिकी कर्मचारी संघ एवं मध्यप्रदेश पेंशनर एसोसिएशन से जुड़े कर्मचारियों ने भाग लिया।
भोपाल में प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की मांगे
प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्रीय दर एवं केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता दिया जाए।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को महंगाई राहत मिले।
पिछले कई साल के एरियर का बकाया दिया जाए।
सातवें वेतनमान के अनुसार मकान किराया भत्ता, वाहन एवं अन्य भत्ते प्रदाय किए जाए।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का पदनाम कार्यालय सहायक किए जाए।
पेंशनरों को पेंशन राहत प्रदान करने में धारा 49 समाप्त की जाए।
कर्मचारियों की पदोन्नति, समयमान वेतनमान पर फैसला हो।
कर्मचारियों की वेतन विसंगति, टैक्सी प्रथा बंद कर वाहन चालकों की भर्ती की जाए।
संविदा एवं स्थाईकर्मियों को नियमित किया जाए।
सीपीसीटी का बंधन खत्म किया जाए।
2005 में लागू हुई पेंशन योजना का विरोध 2023 में क्यों
1 जनवरी 2005 के बाद भर्ती अधिकारी-कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू है। इसके तहत कर्मचारी के वेतन का एक अंश और सरकार की तरफ से उतनी ही रकम मिलाकर शेयर बाजार में निवेश कर दी जाती है।
जब कर्मचारी रिटायर होगा तो उसके शेयर बाजार अकाउंट में जितनी भी रस्म होगी उसका 60% रिटायरमेंट फंड के रूप में नगद दे दिया जाएगा और शेष 40% राशि का ब्याज निर्धारित करके पेंशन निर्धारित कर दी जाएगी। कर्मचारियों को लंबे समय तक यह कैलकुलेशन समझ में ही नहीं आया।
कर्मचारी नेताओं ने, इस योजना का कोई विरोध नहीं किया लेकिन अब लगभग 15 साल का रिकॉर्ड देखने के बाद कर्मचारियों का कहना है कि उनके लिए तो पुरानी पेंशन योजना ही ठीक है।
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