मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के सरकारी डॉक्टर प्रमोशन, वेतन और पेंशन आदि के मामलों में मांगें पूरी न होने के कारण सरकार हड़ताल पर चले गए और आम नागरिकों का इलाज बंद कर दिया।
सभी जिलों में कलेक्टरों ने मोर्चा संभाल लिया है। प्राइवेट डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में तैनात किया जा रहा है।
कुछ प्राइवेट अस्पतालों को भी सरकारी अस्पताल से संलग्न कर दिया गया है यानी मरीज प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होगा परंतु उसकी फीस सरकार अदा करेगी।
गौरतलब है कि मंगलवार को हड़ताल खत्म करने के लिए रात करीब 8 बजे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास पर बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, चिकित्सक संगठन के पदाधिकारी और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे।
करीब एक घंटे चली बैठक में भी कोई सहमति नहीं बन पाई। डॉक्टरों ने केंद्र सरकार के समान डीएसीपी लागू कराने की मांग की।
मंत्री ने कहा कि कमेटी से एक-दो मीटिंग और कर लेते हैं, इसके बाद फैसला लेंगे। इस पर डॉक्टरों ने कहा कि बैठक करते-करते तो चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। यह कहकर डॉक्टर बाहर निकल आए और हड़ताल शुरू कर दी।
डॉक्टरों की हड़ताल के कारण पब्लिक कितनी परेशान
भोपाल में मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट किया गया है।
हमीदिया हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने 32 मरीजों का ऑपरेशन करने से मना कर दिया।
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन भी हड़ताल पर चली गई। उसकी अपनी मांगे हैं।
इंदौर में कलेक्टर ने आयुष डॉक्टरों को पीसी सेठी अस्पताल में तैनात कर दिया है।
इंदौर में सरकारी अस्पतालों के संचालन का काम जिला प्रशासन के अधिकारियों ने संभाल लिया है।
भोपाल में 150 से ज्यादा प्राइवेट डॉक्टर सरकारी अस्पताल में तैनात कर दिए गए हैं।
चिरायु अस्पताल, आरकेडीएफ हॉस्पिटल, जेके हॉस्पिटल आदि में मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था कर दी गई है।
जबलपुर में ओपीडी बंद है लेकिन इमरजेंसी, ट्रॉमा और ICU में एनएचएम, रिटायर्ड और आयुष डॉक्टरों को तैनात किया है। कमिश्नर अभय वर्मा ने डॉक्टरों के अवकाश कैंसिल कर दिए हैं।
ग्वालियर में भी अस्पताल की सारी सुविधाएं बंद है। सिर्फ इमरजेंसी और ट्रामा यूनिट में 30 आयुष डॉक्टर्स तैनात किए हैं।
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