मल्हार मीडिया भोपाल।
अगर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण पर विश्वास किया जाए तो राज्य में सब चंगा है।
आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़ों की मानें तो राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख 22 हजार 821 करोड़ रुपये हो गया है। विकास दर 26.43 प्रतिशत रही है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति आय एक लाख 40 हजार 583 रुपये हो गई है। इसमें पिछले वर्ष के मुकाबले 15.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
राजस्व संग्रहण हो या फिर कृषि क्षेत्र, सभी में वृद्धि दर्ज की गई है। यह जानकारी सरकार ने विधानसभा में दिए गए वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण में दी है।
वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसमें मध्यप्रदेश की उजली तस्वीर पेश की गई है।
यह दावा किया गया है कि पिछले वर्ष आर्थिक समृद्धि में मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल रहा और इसने जीएसडीपी में 16.43 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की।
वहीं, दस वर्षों में यह बढ़ोतरी 319 प्रतिशत हुई है। राज्य सांख्यिकी आयोग भी देश में सबसे मध्यप्रदेश में ही गठित हुआ है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। बार-बार अधिक ऋण लेने की जो बात कही जाती है, वह जीएसडीपी के अनुपात में 29 प्रतिशत है। यह वर्ष 2005 में 39.5 प्रतिशत था।
प्रदेश की आर्थिक स्थिति का आकलन राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) से किया जाता है। यह प्रचलित भाव पर पिछले साल 11 लाख 36 हजार 137 करोड़ रुपये थे, जो वर्ष 2022-23 में 16.43 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 13 लाख 22 हजार 821 करोड़ रुपये हो गई है।
इसी तरह प्रति व्यक्ति शुद्ध आय जो प्रचलित भाव पर एक लाख 21 हजार 594 थी, वो एक लाख 40 हजार 583 रुपये हो गई है।
स्थिर भाव पर यदि देखा जाए तो यह वर्ष 2011-12 में 38 हजार 497 थी, जो अब बढ़कर 65 हजार 23 रुपये हो गई है।
कोरोना संकट के कारण ऋण-जीएसडीपी अनुपात 29 प्रतिशत हो गया है। बैंकों में वर्ष 2019-20 से 2022-23 के दौरान कुल जमा राशि में 13.56 प्रतिशत और अग्रिम ऋण राशि में 16.22 प्रतिशत की दर से वृद्धि परिलक्षित हुई है।
बजट का आकार भी लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2001 में यह 16 हजार 393 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2023 में बढ़कर दो लाख 47 हजार 715 रुपये हो गया।
राज्य के राजस्व में वृद्धि 7.94 प्रतिशत रही है, जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी में वृद्धि .59 प्रतिशत रही। इस प्रकार देखा जाए तो राज्य ने अपने राजस्व में 13.32 प्रतिशत की वृद्धि की।
कृषि ऋण में 13.41 और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के क्षेत्र में यह वृद्धि 30.22 प्रतिशत रही। इससे साफ होता है कि कृषि और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिर कीमतों पर मध्यप्रदेश में 2022-23 के अग्रिम अनुमान के अनुसार प्रति व्यक्ति आय 5.67 प्रतिशत बढ़कर 65,023 रुपये हो गई है। हालांकि, यह राष्ट्रीय आय 96,522 रुपये प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति से अब भी 32% या 31,499 रुपये कम है। राज्य सरकार का कहना है कि मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 2011-12 में 38,497 रुपये थी, जो इन वर्षों में 70 प्रतिशत बढ़ी है। देश की अर्थव्यवस्था पांच बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें मध्यप्रदेश ने अपना योगदान 550 बिलियन डॉलर रखने का लक्ष्य तय किया है। प्रदेश इस ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश का जीएसडीपी स्थिर कीमतों पर 7.06 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ा है।
मध्यप्रदेश सरकार के बजट का आकार भी तेजी से बढ़ रहा है। 2001 में मध्यप्रदेश का बजट महज 16,393 करोड़ रुपये का था, जो 2023 में बढ़कर 2,47,715 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह वृद्धि 15 गुना है। प्रदेश का व्यय बजट पिछले वित्त वर्ष में 2,17,313 करोड़ रुपये था, जो बजट अनुमानों में 14 प्रतिशत बढ़कर 2,47,715 करोड़ रुपये किया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 2018-19 से 2021-22 के बीच राज्य का राजस्व 7.94 प्रतिवर्ष सीएजीआर से बढ़ा है। यानी हर साल औसतन उसमें करीब आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
2022-23 के बजट अनुमानों में राज्य की अपनी राजस्व वृद्धि दर 13.32 प्रतिशत रही, जबकि केंद्रीय करों में हिसस्दारी पिछले साल की तुलना में 9.81 प्रतिशत तक बढ़ी है।
सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी से मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि दर्ज हुई है। 2003 में सिंचाई क्षमता सिर्फ 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर थी, जो 2022 में बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।
गेहूं के निर्यात में मध्यप्रदेश देश में नम्बर एक बना हुआ है। देश में कुल गेहूं के निर्यात में मध्यप्रदेश की 46% भागीदारी है। बीते वर्षों में गेहूं उत्पादन 169 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 600 मीट्रिक टन के पार पहुंच चुका है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में मध्यप्रदेश लगातार समृद्ध हो रहा है। मध्यप्रदेश का हेल्थ बजट 662 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,400 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। पैरा मेडिकल स्टाफ की संख्या में 2003 के मुकाबले अब तक 43,500 से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
मध्यप्रदेश पॉवर में सरप्लस स्टेट बन चुका है। मध्यप्रदेश में जहां साल 2003 तक ऊर्जा क्षमता सिर्फ 5,173 मेगावॉट थी जो वर्ष 2022 में बढ़कर 28,000 मेगावॉट हो चुकी है।
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