मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने जो गलती की थी। उसे ठीक करने जा रहा हूं।
अब नए शिक्षकों को पहले साल 70% और दूसरे साल 100% सैलरी देंगे। चार हिस्सों में बांटना मुझे तो न्याय नहीं लगता। यह तरसा-तरसाकर देना है। पहला साल परीक्षा का है तो 70% सैलरी।
अच्छा पढ़ाओ तो अगले साल 100% सैलरी। दरअसल, 2018 में सरकार बनने के बाद कमलनाथ ने जो व्यवस्था बनाई थी, उसके तहत चार साल में शिक्षकों की सैलरी 100% होती थी।
पहले वर्ष 70% राशि के बाद 100% प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होता था। अब यह प्रक्रिया एक वर्ष में पूरी हो जाएगी। इसके लिए शिक्षकों को चार वर्ष की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री निवास में आयोजित नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों को नियुक्ति-पत्र वितरित किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2021 से लेकर अब तक 60 हजार से अधिक शिक्षक नियुक्त हुए हैं। 53 जिलों के हिसाब से पिछले तीन वर्षो में प्रदेश के प्रत्येक जिले में औसतन 1000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों में पदस्थ किए गए कुछ शिक्षकों को प्रतीक स्वरूप नियुक्ति बधाई पत्र सौंपे। इन शिक्षकों में शेफाली गुर्जर जिला सीहोर, शुभम गुप्ता जिला नर्मदापुरम, हुकुम चंद राठौर जिला राजगढ़, राजेश घोटे जिला बैतूल, ममता गोयल जिला देवास और आनंद मीना जिला देवास शामिल हैं। राज्यपाल मंगूभाई पटेल और स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार वर्चुअल जुड़े।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया। प्रधानमंत्री ने वीडियो संदेश में कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों के संवर्धन पर जोर देती है। मध्यप्रदेश में व्यापक तौर पर शिक्षकों की भर्ती की गई है। इस साल 22 हजार शिक्षक नियुक्त किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने सभी शिक्षकों को बधाई दी और कहा कि यह महत्वपूर्ण बात है कि इन शिक्षकों में से लगभग आधे शिक्षक जनजातीय बहुल इलाकों के विद्यालयों में नियुक्त किए गए हैं। इनकी नियुक्ति से सर्वाधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को मिलेगा। हमारी भावी पीढ़ी को लाभ मिलेगा।
मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष एक लाख से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती का लक्ष्य रखा है, जो प्रसन्नता का विषय है। इस साल के अंत तक 60 हजार शिक्षकों की नियुक्ति का लक्ष्य है। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि मध्यप्रदेश शिक्षा सर्वे में देश में 17वें स्थान से छलांग लगाकर पांचवें स्थान पर आ गया है। शिक्षा की गुणवत्ता की दृष्टि से मध्यप्रदेश की यह बड़ी उपलब्धि है। मध्यप्रदेश ने बिना शोर मचाए यह उपलब्धि हासिल की। एक तरह से यह मौन साधना का भाव है।
शिवराज ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने से पहले मैं सांसद था। बच्चों से प्यार था। मैं कई जगह स्कूलों में जाता था। एक जगह मैंने बच्चों से पूछा कि बताओ गंगाजी कहां से निकली। एक बच्चे ने कहा- गंगा जी विंध्याचल से निकली। मैंने शिक्षक को बुलाया। उससे पूछा तो उन्होंने कहा कि 500 रुपये में तो गंगा जी विंध्याचल से ही निकलेगी। उस समय गुरुजी को 500 रुपये मिलते थे। अध्यापक को 1200 रुपये मिलते थे। हमने बढ़ा-बढ़ाकर 40 से 50 हजार के बीच ले गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक का सही नाम गुरू होता है। यहां मौजूद सभी शिक्षक गुरू हैं। गुरू वशिष्ठ और गुरू द्रोणाचार्य से लेकर अनेक ख्यातिनाम गुरू हुए। यदि कोई नौकरी के भाव से शिक्षक बनता है तो वह रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है जो आवश्यक भी है, लेकिन गुरू का कार्य प्रोफेशन से आगे मिशन भाव से कार्य करना है। शिक्षकों पर भावी पीढ़ी के निर्माण का दायित्व है। इस वर्ष 22 हजार से अधिक शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। शिक्षक होना सिर्फ एक नौकरी नहीं समाज को बनाने का भी कार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं शिक्षक की भूमिका में रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आजकल लाड़ली बहना योजना का पाठ पढ़ा रहे हैं। महाविद्यालय में दर्शन शास्त्र में एमए के बाद वे अल्प समय के लिए शिक्षण कार्य से भी जुड़े रहे। इसके पहले बाल्य काल में जैत ग्राम में उन्होंने रामायण की चौपाइयों की व्याख्या और अर्थ बताने का कार्य करते हुए एक वक्ता की पहचान बनाई थी। यह ग्राम के विद्यालय में गुरू से प्राप्त मार्गदर्शन का ही परिणाम था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक का कार्यकाल औसत रूप से 30 साल माने तो हमें विचार करना चाहिए कि बेहतर गुरू बन कर ऐसे बच्चे तैयार करें जो जमाना बदल दें। शिक्षकों की भूमिका सार्थक होती है तो समाज भी शिक्षकों का आदर करता है और उनके चरण धोकर पीता है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मध्यप्रदेश सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि 15 महीने का वह दुरावस्था का दौर था। चलो-चलो के रास्ते पर चलने वाली सरकार थी। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी के नेतृत्व में जो मिस्टर बंटाधार के इशारे पर चलने वाली सरकार थी।
पिछली सरकार ने युवाओं के साथ गलत किया था। शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में पहले 70% और फिर चार चरणों में उन्हें 100% सैलरी तक ले जाते थे। लोगों को इस प्रकार से दिखाया जाता था कि आपको हम यह दे रहे हैं। सरकार ने बहुत गलत किया था। लोगों के साथ छल किया था। उसको सुधार करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले साल 70% सैलरी और दूसरे साल 100% देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
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