मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने शुक्रवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने यह पूछा है कि कुछ नाबालिग लड़कियों के माता-पिता द्वारा स्कूल में उनके कपड़े उतारकर तलाशी लेने की शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है।
न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति डीवी रमण की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है। सरकार को चार सप्ताह के भीतर इसका जवाब देने का आदेश दिया गया है। मिश्रा ने वकील अभिनव धानोदकर के माध्यम से आरोप लगाया कि पुलिस ने छह बच्चों की शिकायत पर पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज नहीं किया है। यह घटना 2 अगस्त को तब हुई थी जब क्लास में एक मोबाइल फोन मिलने के बाद शिक्षकों ने बच्चों के कपड़े उतारकर उनकी तलाशी ली थी।
अदालत ने सरकार से सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने टिप्पणी की, "मामले में गंभीर आरोपों को देखते हुए, राज्य सरकार को निर्देशित किया जाता है कि वह रिपोर्ट दाखिल करे कि शिकायत दर्ज होने के बाद क्या कार्रवाई की गई है।"
कथित घटना के दिन लड़कियों के माता-पिता ने मल्हारगंज पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने कहा कि पुलिस प्रिंसिपल और शिक्षकों के बयान दर्ज कर रही है और इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस बयान को एक सप्ताह हो चुका है।
याचिकाकर्ता मिश्रा ने अदालत से अनुरोध किया है कि पुलिस को पॉक्सो अधिनियम की धारा 19 के तहत दर्ज शिकायतों पर कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया जाए। इसके तहत पुलिस को 24 घंटे के भीतर बाल कल्याण समिति और पॉक्सो विशेष न्यायालय को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा, जिसमें यह बताया जाए कि बच्चे की देखभाल और सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। यदि कोई विशेष अदालत नामित नहीं है, तो पुलिस को सत्र अदालत को रिपोर्ट करना होगा।
याचिकाकर्ता ने अंतरिम राहत के रूप में, स्ट्रिप-सर्च शिकायत से निपटने के लिए एक सीडब्ल्यूसी अधिकारी और एक सहायक व्यक्ति की नियुक्ति के लिए भी अदालत के निर्देश की मांग की है। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
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