मल्हार मीडिया डेस्क।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई है. भारतीय सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि ये झड़प नौ दिसंबर 2022 को हुई।
भारतयी सेना ने बीबीसी को बताया कि नौ दिसंबर को पीएलए के सैनिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसे, जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की।
इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोट आई हैं।
भारतीय सेना के अनुसार दोनों देशों के सैनिक तत्काल घटनास्थल से पीछे हट गए हैं. झड़प के बाद शांति स्थापित करने के लिए इलाके के कमांडर ने चीनी समकक्ष के साथ फ़्लैग स्तर की वार्ता की।
भारत के एक बड़े अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने भारतीय रक्षा अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अरुणाचल के तवांग में हुई झड़प में भारतीय सैनिकों के मुक़ाबले चीनी सैनिक अधिक संख्या में घायल हुए हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद ये इस तरह का पहला मामला है। उस समय 20 भारतीय जवान मारे गए थे और कई घायल हुए थे।
चीन ने भी कोई बयान जारी नहीं किया ।
तवांग में चीनी सैनिकों के साथ झड़प की ख़बरों पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए ढुलमुल रवैया छोड़ने को कहा है।
कांग्रेस ने ट्वीट किया, "अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प की ख़बर है।
वक्त आ गया है कि सरकार ढुलमुल रवैया छोड़कर सख्त लहजे में चीन को समझाए कि उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
एआईएमआईएम चीफ़ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर सवाल किया है कि सरकार ने इतने दिनों तक झड़प के बारे में सूचना क्यों छिपाए रखी जबकि संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है।
उन्होंने लिखा, "अरुणाचल प्रदेश से आ रही ख़बरें चिंताजनक हैं। भारत और चीन के सैनिकों के बीच बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा. जब शीतकालीन सत्र चल रहा है तो संसद को इस बारे में क्यों नहीं बताया गया?"
उन्होंने ये भी कहा कि इस झड़प की जो जानकारी सामने आ रही हैं वो स्पष्ट नहीं हैं। ओवैसी ने पूछा, "झड़प का कारण क्या था?
क्या गोलियां चलीं या फिर ये गलवान की तरह था? उनकी स्थिति क्या थी? कितने सैनिक घायल हुए? संसद चीन को कड़ा संदेश देने के लिए अपने सैनिकों का साथ क्यों नहीं दे सकती?"
ओवैसी ने कहा, "सेना चीन को किसी भी समय मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है।
मोदी की अगुवाई में ये कमज़ोर नेतृत्व ही है जिसकी वजह से भारत को चीन के सामने अपमानित होना पड़ रहा है।
संसद में इस पर तत्काल चर्चा की ज़रूरत है. मैं कल इस मुद्दे पर संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा।"
15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच ख़ूनी संघर्ष हुआ था. उस झड़प में भारत के बीस सैनिक मारे गए।
भारत कहता रहा है कि गलवान में चीन के सैनिक भी भारी संख्या में मारे गए थे. लेकिन चीन ने सिर्फ़ चार सैनिकों की मौत की पुष्टि की थी।
फ़रवरी 2022 में ऑस्ट्रेलिया के एक अख़बार 'द क्लैक्सन' ने अपनी एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया था कि गलवान में चार चीनी सैनिक नहीं बल्कि कई गुना ज़्यादा यानी कम-से-कम 38 पीएलए जवानों की मौत हुई थी।
चीन ने गलवान की झड़प में हिस्सा लेने वाले एक कमांडर को इस साल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में बतौर गेस्ट बुलाया गया था।
भारत और चीन के बीच साल 2020 में गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी।
एक मई 2020 को दोनों देशों के सौनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी।
इसमें दोनों ही तरफ़ के दर्जनों सैनिक घायल हो गए थे। इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई।
इस झड़प को लेकर 16 जून को भारतीय सेना का बयान सामने आया. इसमें कहा गया,
"झड़प वाली जगह पर ड्यूटी पर तैनात गंभीर रूप से घायल होने वाले 17 सैनिकों की मौत हो गई। इस संघर्ष में मरने वाले सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।"
चीन ने भी बयान जारी किया लेकिन उससे ये साफ़ नहीं हुआ कि उसके कितने सैनिकों की मौत हुई।
कई महीने बाद फरवरी, 2021 में चीन ने गलवान घाटी झड़प में मरने वाले अपने चार सैनिकों को मरणोपरांत मेडल देने की घोषणा की।
इनपुट बीबीसी
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