मल्हार मीडिया भोपाल।
भारत के लब्ध प्रतिष्ठ जल विज्ञानी कृष्ण गोपाल व्यास का 17 नवंबर को जबलपुर में देहावसान हो गया। वे 82 वर्ष के थे। श्री व्यास केंसर का तीसरा आक्रमण झेल रहे थे। पहले दो बार प्रबल मनोबल के चलते केंसर जैसी भीषण व्याधि को परास्त कर चुके थे।
श्री कृष्ण गोपाल व्यास की गणना भारत के मूर्धन्य जल विज्ञानियों में होती थी। जल संग्रहण, जल पुनर्भरण, पूरे भारत के जल अभियानों में बतौर मार्गदर्शक और उत्प्रेरक उन्हें आमंत्रित किया जाता था।
जबलपुर विश्वविद्यालय से भू-विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने वाले व्यास जी बारह वर्ष तक प्राध्यापक रहे। पश्चात नलकूप निर्माण उद्वहन सिंचाई तथा भू-जल सर्वेक्षण के कार्यों से जुड़े।
राजीव गांधी वाटरशेड मिशन के सलाहकार और वाल्मी के संचालक भी रहे। मध्यप्रदेश सरकार के पानी रोको अभियान की मूल अवधारणा श्री कृष्ण गोपाल व्यास ने ही विकसित की थी।
आर्थिक भू-विज्ञान, कुओं का व्यावहारिक भू-जल विज्ञान, सूखे का सामना, भारत में जल संचय की परंपराएँ, पर्यावरण संरक्षण, पानी, समाज और सरकार, जल चौपाल, जल प्रबंध आदि व्यास जी की प्रकाशित पुस्तकें हैं।
पानी पर उनके सहस्राधिक आलेख और व्याख्यान समाचार पत्रों, पत्रिकाओं तथा इंडिया वाटर पोर्टल पर प्रकाशित-प्रसारित हुए हैं। साउथ एशियन एसोसिएशन आफ इकोनॉमिक जियालाजिस्ट ने आपको वराहमिहिर सम्मान से सम्मानित किया।
मध्यप्रदेश साहित्य परिषद तथा माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने आपके यशस्वी कृतित्व का सम्मान किया है। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय जल-संगोष्ठियों में आपकी भागीदारी रही है।
श्री कृष्ण गोपाल व्यास का अंतिम संस्कार 18 नवंबर की सुबह ग्वारीघाट, जबलपुर में सम्पन्न हुआ। वे अपने पीछे अग्रज डा. बी.जी. व्यास (पिपरिया), पत्नी श्रीमती शशि (गौरादेवी) व्यास, तीन पुत्रियों - अनामिका, अनुभा, दीपा का शोकाकुल परिवार छोड़ गए हैं।
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