मल्हार मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली।
हिंदुओं को ऐसे राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 6 सप्ताह में राय मांगी है, जहां उनकी आबादी कम है।
अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मामले में अपना फाइनल स्टैंड 6 सप्ताह के भीतर दे।
इसके साथ ही अदालत ने अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को करने का फैसला लिया है।
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार को राय देनी चाहिए कि ऐसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए या नहीं, जहां उनकी संख्या दूसरे समुदायों के मुकाबले कम है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि उसे इस पर राय देने के लिए कुछ और समय चाहिए।
इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने अदालत से इस मामले में जवाब देने के लिए कुछ मोहलत मांगी थी। देश के 10 केंद्र शासित प्रदेशों एवं राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं।
इसी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई है कि जहां हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए।
इस मसले पर बोलते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने अदालत में कहा कि इस मसले पर अब तक नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की ओर से कोई जवाब नहीं मिल सका है।
इसके अलावा हिमाचल, यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों से भी जवाब नहीं आ पाया है।
केंद्र सरकार ने कहा कि वह इस मसले पर बैठकें करेगी और मंथन के बाद ही कोई जवाब दिया जा सकता है। इससे पहले मई में अदालत ने केंद्र सरकार के बार-बार रुख बदलने पर नाराजगी जाहिर की थी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने इसी मसले पर 25 मार्च को अदालत में कहा था कि अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मामले में केंद्र और राज्य समानांतर संस्था हैं।
सरकार ने कहा कि राज्यों की ओर से भी अपने स्तर पर किसी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है। लेकिन दो महीने बाद ही मई में केंद्र सरकार ने कहा था कि अल्पसंख्यक दर्जा तय करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास ही है। उसके इसी बदले रवैये पर शीर्ष अदालत ने नाराजगी जाहिर की थी।
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