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28 दिनों से दिल्ली में डटे किसानों ने कपड़े उतारकर पीएम आवास तक लगाई दौड़

राष्ट्रीय            Apr 09, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

सूखे और कर्ज से बेहाल तमिलनाडु के किसानों की बेजारी एक बार फिर दिल्ली के सियासी गलियारों में अजीबोगरीब प्रदर्शन के तौर पर दिखी। सोमवार को कुछ आंदोलनकारी किसानों ने नॉर्थ ब्लॉक के नजदीक नग्न होकर विरोध जताया।

दरअसल किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपने के लिए पीएमओ पहुंचा था। दिल्ली पुलिस उन्हें इस काम के लिए खुद जंतर-मंतर से लाई थी। हालांकि पीएम दफ्तर में मौजूद नहीं थे लेकिन किसान करीब दस मिनट तक पीएमओ के भीतर गए। बाहर आने पर उनके दल का एक सदस्य अचानक पुलिस के वाहन से कूद गया और निर्वस्त्र होकर सड़क पर दौड़ने लगा। इसी तरह उसके तीन अन्य साथी भी कपड़े उतारकर नॉर्थ ब्लॉक की सड़कों पर उतर आए।

दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसान सोमवार को अपना आंदोलन एक अलग ही मुकाम पर ले गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात ना हो पाने से नाराज किसानों ने विरोध प्रदर्शन के रूप में पीएम आवास के पास कपड़े उतारकर दौड़ लगाई। किसानों ने आरोप लगाया कि दिल्ली के डीसीपी उन्हें प्रधानमंत्री ऑफिस ले गए थे और वादा किया था कि नरेंद्र मोदी उनसे मुलाकात करेंगे। हालांकि किसान पीएमओ पहुंचे तो उनसे कहा गया कि वो अपनी पेटिशन एक अधिकारी के देकर यहां से चले जाएं। तमिलनाडु के इन किसानों की मांग है कि राष्ट्रीय बैंकों के उनके कर्जे को माफ करने के साथ उनकी फसलों की उचित कीमत दिलाने का इंतजाम किया जाए। इसके अलावा राज्य में पानी की किल्लत को दूर करने के ठोस उपाय किए जाएं।

पीएमओ के पास कपड़े उतारकर प्रदर्शन करने वाले किसानों को पुलिस ने तुरंत ही गिरफ्तारी भी कर लिया। कुछ किसान कपड़े उतारकर सड़क पर लोटने लगे, जिन्हें पुलिसवाले खींचकर ले गए। प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे तमिलनाडु के किसान अय्याकन्नू ने मीडिया से कहा, “पीएम मोदी ने मिलने से इंकार कर दिया, इस लिए हमें यह कदम उठाना पड़ा। हमारे राज्य की दयनीय स्थिति को देखिए। हम यहां पीएम से ही मिलने आए थे, लेकिन उन्होंने मिलने नहीं दिया। हमारे पास और कोई चारा नहीं था।”


गौरतलब है कि कि तमिलनाडु के कावेरी बेसिन के सूखा-पीड़ित किसान पिछले तीन हफ्तों से इंसानी खोपड़ियों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका दावा है कि ये खोपड़ियां उन किसानों की हैं जिन्होंने कर्ज के दुश्चक्र में फंस कर आत्महत्या कर ली या भूख ने जिनकी जान ले ली।किसानों का कहना है कि कभी अपनी उपजाऊ जमीन के लिए प्रसिद्ध कावेरी बेसिन इलाके में अब किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है।



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