मल्हार मीडिया ब्यूरो।
टाटा मोटर्स के निदेशक पद से हटाए जाने के अगले ही दिन (23 दिसंबर को) नुस्ली वाडिया ने टाटा संस और उसके चेयरमैन रतन टाटा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। इससे पहले गुरुवार (22 दिसंबर) को टाटा मोटर्स के शेयरहोल्डर्स में से 71.20 प्रतिशत लोगों ने नुस्ली को स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाने के लिए वोट किया था। यह वोटिंग गुरुवार को एक्ट्राओर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) के दौरान मुंबई में तकरीबन तीन बजे हुई थी।
वाडिया को छोड़कर वहां बोर्ड के सभी डायरेक्टर मौजूद थे। वाडिया वहां पर नहीं थे पर उन्होंने चार पन्नों का लेटर भिजवाया था। उसे EGM मीटिंग में सचिव ने पढ़कर सुनाया। पत्र में लिखा था कि वीडिया जानबूझकर मीटिंग में नहीं आए क्योंकि उससे पहले हुई मीटिंग्स को टाटा कंपनी ने अनुपयुक्त और शर्मनाक तरीके से किया था।
कंपनी के कुल 293.60 करोड़ शेयरधारकों में से 69.93 प्रतिशत शेयरधारकों ने मतदान में भाग लिया जिसके 70.20 प्रतिशत ने वाडिया को निदेशक मंडल से हटाने के पक्ष में मतदान किया और 28.8 प्रतिशत ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। वाडिया को बुधवार को टाटा स्टील के स्वतंत्र निदेशक पद से भी हटा दिया गया था।
पत्र में वाडिया ने टाटा पर आरोप लगाया कि मीटिंग में गिने-चुने लोगों को बुलाते हैं और उन्हें ही बोलने देते हैं जिन्हें वे बोलना देना चाहते हैं। वाडिया ने यह भी लिखा था कि भारत के कॉरपोरेट इतिहास में उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है। नुसली वाडिया ब्रिटिश मूल के पारसी बिजनेसमैन हैं। वाडिया ज्यादातर वक्त मुंबई में रहते हैं लेकिन उनके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है। वह मोहम्मद अली जिन्ना के पोते हैं। जिन्हें पाकिस्तान का जन्मदाता कहा जाता है।
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