मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय चुनाव आयोग ने कहा है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वही पुरानी बातें दोहराई हैं, जो पहले 2018 में कमलनाथ ने कही थीं। 2018 में कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय की गलतियां ठीक कर दी गई थीं और कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का सम्मान करना चाहिए।
चुनाव आयोग ने आज शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पुरानी और थकी हुई स्क्रिप्ट दोहराई है। 2018 में यह काम कमलनाथ ने किया था, जो उस समय मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष थे। आज यह काम लोकसभा में विपक्ष के नेता कर रहे हैं।
आयोग ने कहा, 2018 में कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की थी। यह दिखाने के लिए कि कुछ मतदाताओं के नाम कई बार सामने आ रहे हैं, मतदाता सूची में गलतियों को साबित करने के लिए एक निजी वेबसाइट से दस्तावेज पेश किए थे। असल में ये गलतियां करीब चार महीने पहले ठीक कर दी गई थीं और इसका प्रमाण पार्टी को दिया गया था।
इस आधार पर मतदाता सूची का सर्चेबल पीडीएफ फॉर्मेट मांगा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ की इस याचिका को खारिज कर दिया था। अब 2025 में यह जानते हुए कि अदालत में वही चाल नहीं चलेगी, वे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि मतदाता सूची में गड़बड़ियां हैं, जैसे कि एक ही नाम कई जगह दिख रहा है। उदाहरण के तौर पर आदित्य श्रीवास्तव का नाम तीन अलग-अलग राज्यों में होने की बात कही गई थी, जो महीनों पहले ही सही कर दी गई है।
चुनाव आयोग ने आगे कहा कि कमलनाथ के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट कर देता है कि मशीन द्वारा पढ़ने योग्य दस्तावेज के संबंध में क्या स्थिति है। बार-बार वही मुद्दा उठाना दिखाता है कि राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का सम्मान नहीं करते हैं। कानून में मतदाता सूची पर आपत्ति और अपील करने का खास तरीका तय है। कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बजाय उन्होंने मीडिया में बिना ठोस आधार के विवाद खड़ा किया।
आयोग ने कहा, यदि कानून किसी काम के लिए विशेष प्रक्रिया बताता है, तो वही तरीका अपनाना चाहिए। इसलिए अगर राहुल गांधी को अपने आरोपों पर भरोसा है और उन्हें सही मानते हैं, तो उन्हें कानून का सम्मान करते हुए घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए या फिर चुनाव आयोग पर लगाए गए बेबुनियाद आरोपों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर फैल रही उन अफवाहों को खारिज किया, जिनमें दावा किया जा रहा था कि आयोग ने रातों-रात कई राज्यों की ई-मतदाता सूची अपनी वेबसाइट से हटा दी है। चुनाव आयोग ने इन दावों को 'फेक न्यूज' बताया। एक्स पर एक पोस्ट में चुनाव आयोग ने कहा, यह खबर झूठी है। कोई भी व्यक्ति 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूची इस लिंक से डाउनलोड कर सकता है- https://voters.eci.gov.in/download-eroll।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने दावा किया कि बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों की ई-मतदाता सूची वेबसाइट से हटा दी गई है। ये दावे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सात अगस्त को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सामने आए।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव चुनाव आयोग ने पहले से योजना बनाकर ऐसा किया ताकि बीजेपी को फायदा हो। उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव में भाजपा विरोधी लहर का कोई असर नहीं पड़ा। अपने आंतरिक विश्लेषण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कर्नाटक में 16 सीटें जीतने की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी को केवल नौ सीटें मिलीं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने सात अप्रत्याशित हारों की जांच की और महादेवपुरा सीट पर फोकस किया, जहां उन्होंने 1,00,250 वोट चोरी होने का आरोप लगाया।
कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में हुई वोटिंग पर कांग्रेस के शोध का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा, हमारे आंतरिक सर्वे के अनुसार हम कर्नाटक में 16 सीटें जीतने वाले थे, लेकिन हमें नौ सीटें मिलीं। इसके बाद हमने सात अप्रत्याशित हारों पर ध्यान दिया और महादेवपुरा पर फोकस किया। सभी आंकड़े 2024 के चुनाव आयोग के हैं—कुल डाले गए वोट 6.26 लाख थे। भाजपा को 6,58,915 वोट मिले और वह 32,707 वोटों से जीती। लेकिन जब महादेवपुरा पर नजर डाली, तो कांग्रेस को 1,15,586 वोट और भाजपा को 2,29,632 वोट मिले। कांग्रेस ने बाकी सभी विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की, लेकिन यहां हार गई।
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