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7 राजनीतिक दलों को एक साल में मिला 102 करोड़ का चंदा,सबसे ज्यादा हासिल किया भाजपा ने

राजनीति            Dec 21, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो।
देश की सात राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों ने साल 2015-16 में 20,000 रु से ऊपर की रकम के चंदे के रूप में कुल 102 करोड़ रुपये हासिल किए। यह रकम 1744 दानदाताओं द्वारा दी गई है। अंग्रेजी समाचार पत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है जिसका आंकड़ा 76 करोड़ रुपये है। इसके बाद कांग्रेस है जिसे 20 करोड़ रुपये मिले। बाकी अन्य पार्टियों को केवल छह करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले। खबर के मुताबिक पार्टियों ने इसकी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी है।

अखबार ने पार्टियों की फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के हवाले से कहा है कि पिछले वर्षों में राजनीतिक पार्टियों के खाते में 63 फीसदी चंदा नकदी के रूप में जमा हुआ है। यह आंकड़ा इस बात की ओर संकेत करता है कि पार्टियों को अधिकांश चंदा अज्ञात स्रोतों से हासिल होता है। कानून के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों को 20,000 रुपये से ज्यादा का चंदा चेक या बैंक ड्राफ्ट के रुप में ही दिया जा सकता है।


भारत ने पाकिस्तान में आयोजित होने वाले एक क्षेत्रीय सम्मेलन से खुद को अलग कर लिया है। जनसत्ता के मुताबिक केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने शुरुआत में विकास के मुद्दे पर आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में हिस्सा लेने की पुष्टि की थी। लेकिन बुधवार से शुरू हो रहे इस सम्मेलन से भारत ऐन मौके पर अलग हो गया।

खबर के मुताबिक माना जा रहा है कि भारत का यह फैसला पाकिस्तान की मेजबानी वाले इस तरह के सम्मेलनों से दूर रहकर उसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अलग-थलग करने की कोशिश है। भारत के अलावा बांग्लादेश और ईरान ने भी सम्मेलन से दूरी बनाने का फैसला किया है। इससे पहले नवंबर में भारत ने इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किया था।


हिन्दुस्तान में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक सीबीएसई ने साल 2018 से दसवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य करने संबंधी प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी। अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि संचालन परिषद की बैठक में प्रस्ताव पर सहमति बनी। इसके बाद सीबीएसई इस फैसले को लागू किए जाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। खबर के मुताबिक संचालन परिषद ने इस संबंध में एक सर्वे कराया था, जिसमें यह बात सामने आई कि ज्यादातर लोग दसवीं में बोर्ड की वापसी चाहते हैं।

2009 में यूपीए सरकार ने दसवीं में बोर्ड की परीक्षा को छात्रों के लिए वैकल्पिक कर दिया था। उन्हें यह विकल्प दिया गया था कि वे बोर्ड या स्कूल आधारित परीक्षा में से कोई एक विकल्प चुन सकते हैं।केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक जो छात्र इस साल दसवीं की परीक्षा देंगे उनपर इस फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।



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