मल्हार मीडिया।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने प्रदेश में पिछले 13 वर्षों मंे बिजली की उपलब्धता, निजी व अन्य कंपनियों से ऊंचे दामों पर की गई खरीदी/ बिक्री, संपन्न एमओयू आदि को लेकर राज्य सरकार व उंगलियों पर गिने जाने वाले नौकरशाहों के आपसी सामंजस्य से हुए करोड़ों/ अरबों रूपयों के हुए भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए श्वेत-पत्र जारी किये जाने की मांग की है।
श्री मिश्रा ने कहा कि यह एक प्रामाणिक तथ्य है कि मप्र में उपभोक्ताओं को सर्वाधिक महंगी बिजली दी जा रही है। यही नहीं, प्रदेश में सरप्लस बिजली उपलब्ध होने का दावा भी खोखला साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात भीषण गर्मी के चलते और भी अधिक बद से बदतर होंगे, क्योंकि वहां टुकड़ों में सिर्फ 6-8 घंटे भी बिजली उपलब्ध नहीं हो नहीं है। पिछले 13 वर्षों में राज्य सरकार ने अपनी तत्परता संयंत्रों की स्थापना में न दिखाते हुए महंगे दामों पर बिजली खरीदने/ बेचने में दिखाई, जिसमें करोड़ों रूपयों की कमीशनबाजी हुई है। राज्य सरकार विगत् दिनों 6 निजी कंपनियों से आगामी 25 वर्षों के लिए किये गये समझौते से संबंधित दस्तावेज न केवल सार्वजनिक करे, बल्कि यह भी स्पष्ट करे कि आगामी 25 वर्षों के लिए किये गये इन समझौतों के पीछे सरकार की कौन सी ईमानदार मंशा छुपी हुई है?
श्री मिश्रा ने बिजली को लेकर सरकार की कार्यशैली पर सवालिया हमला बोलते हुए कहा कि मप्र को कितनी बिजली की जरूरत पड़ेगी, उसकी उपलब्धता के आंकलन और इसके इस्तेमाल को लेकर सरकार की कार्ययोजना क्या थी, सरप्लस बिजली होने के कथित दावों के बावजूद प्रदेश की जनता पर हर वर्ष विद्युत की प्रति यूनिट दरों में उत्तरोत्त्र वृद्धि क्यों की जा रही है और वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2017 तक राज्य सरकार ने कितनी मर्तबा और कितने प्रतिशत बिजली के दाम बढ़ाये हैं, यह सार्वजनिक होना चाहिए ?
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