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समरसता को धूमिल करने लगी है आरक्षण की आंच

राज्य            Jan 19, 2017


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।
प्रमोशन में आरक्षण का मामला अब समरसता को चोट पंहुचाता हुआ दिखाई देने लगा है। हालात यह हैं कि मध्यप्रदेश में भगवान को संप्रदाय के जरिये विभाजित करने की कोशिश की जा रही है। वह भी उस सरकारी तंत्र के द्धारा जिसके कंधों पर समरसता को संभालने की जिम्मेदारी है।

मामला दलित आदिवासी बाहुल्य इलाकों में वजूद खोते जा रहे मंदिरों से जुडा है। विधानसभा में घोषणा के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने इनके जीर्णोद्धार के लिये 27 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया था। यह राशि अनुसूचित जाति जनजाति विभाग द्वारा आवंटित की जानी है। जिसे धर्मस्व विभाग को खर्च करना है। अब अनुसूचित विभाग ने ही इस राशि के आवंटन को रोक दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि हिन्दू धर्म के भगवान दलितों के नहीं हैं। इसलिये इस राशि को दलित और आदिवासियों के दिवगंत संत और प्रमुख देवताओं से संबधित मंदिरों पर ही खर्च किया जाना चाहिये।

विभाग के प्रमुख सचिव ने हिन्दू देवी देवताओं के अंचलों में निर्मित पुराने जीर्णशीर्ण मंदिरों पर इस राशि को खर्च करने से साफ इंकार कर दिया है। अब मामला मुख्यमंत्री के पास पंहुचा है। देखना यह है कि इसका अंत क्या होता है और राजनीति का स्वरूप क्या दिशा तय करता है। ज्ञातव्य है कि प्रमोशन में आरक्षण के मामले ने प्रदेश में सरकारी तंत्र के बीच ही गहरी खाई बना दी है। दलित और सामान्य श्रेणी के अधिकारी कर्मचारी आमने—सामने हो चले हैं।

मध्यप्रदेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सामान्य और पिछडा वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा सपाक्स संगठन के माध्यम से आवाज उठाई जा रही है। हालात यह हैं कि तंत्र में समरसता की डोर टूटने से पूरा तानाबाना बिगड़ता जा रहा है। जिससे सरकारी योजनाये भी प्रभावित होने लगी है। बुंदेलखंड में तो सरकारी विभागों में इस तनातनी के कारण अनुसूचित जाति जनजाति विभाग में सामान्य वर्ग के अधिकारी और दलितों के संगठन अजाक्स के बीच विवाद का मामला पुलिस तक जा पंहुचा है।

यहां यह भी याद रखा जाना चाहिये कि बुंदेलखंड में देखने में आ रहा है कि दलितों ने अब हिन्दू देवी देवताओं को अपना आराध्य मानना बंद कर दिया है। उन्होने राम-राम की जगह जय भीम को अपना अभिवादन का शब्द बना लिया है। सविंधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को आदर्श मानते हुये ग्रामीण अंचलों में उनकी मूर्तियां लगाने के कारण होने वाले विवाद इस इलाके में आम होते जा रहे हैं।

पिछले वर्ष 25 मार्च 2016 की रात को सागर कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बड़ा मल्हरा थाना क्षेत्र में पिपरा पुलिया के पास ग्राम करकी मार्ग पर दलित समाज के निर्माणाधीन भवन को तोड़ दिया था। आरोप तो यह भी लगे कि अम्बेडकर की मूर्ति भी क्षतिग्रस्त कर दी गई थी। साथ ही पुजारी बिला अहिरवार व उसके पुत्र की जमकर पिटाई की गई। हालांकि क्षेत्र के एसडीएम श्री चौकसे के अनुसार दलितों द्वारा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर मंदिर निर्मित कराया जा रहा था। जिसके अतिक्रमण में आने के कारण पूर्व में भी अधिकारियों द्वारा हटाया गया था। पुलिस ने इस मामले में लोधी समाज के कुछ लोगों के खिलाफ अपराध भी दर्ज किया था।

 

 



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