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Sat, 24 May 2025

सीहोर अस्पताल कांड-2:मानवता फर्श पर,अहम अर्श पर।

राज्य            Jan 20, 2017


राजेश शर्मा।

बुधवार को बुद्धि गई, और गुरुवार को ज्ञान।अब रक्षा करे सीहोर की, आकर खुद भगवान।

पिछले दो दिन से समूचा सीहोर सनसनीखेज और अप्रत्याशित घटनाक्रमों के दौर से गुजर रहा है। सीहोर की घड़ी का हर एक घंटा बदलते घटनाक्रम का साक्षी बना हुआ है।जो चल रहा है वो सीहोर की माटी को कहीं न कहीं लज्जित करने वाला साबित हो रहा हैं। बुधवार को नेताजी की बुद्धि गई तो गुरुवार को डाक्टरों ने ज्ञान खो दिया अब डर है कि शुक्रवार को जनता कहीं सुध नहीं खो दे वरना दोनो को ही लेने के देने पड़ जाएंगे।

पूरे वाकये को दोहराए बगैर सीधी-सीधी बात यह है कि थाने मे दोनो पक्षों के बीच जब समझौता हो गया था तो फिर थाने में गड़े हुए मुर्दे को किस के इशारे पर उखाड़ा गया। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा के खिलाफ पुलिस को मुकदमा ही कायम करना था तो पहले ही दिन क्यों नहीं किया गया , क्यों थाने मे बैठाकर पुलिस राजीनामे की चश्मदीद गवाह बनी? क्या पुलिस की यह कार्य पद्धति उसे सवालों के कटघरे मे खड़ा नहीं करती?

इन सुलगते सवालों को बुझाने के लिए सबके पास जवाब अलग-अलग हो सकता है लेकिन जनता तो इस वक्त नेता और डाक्टर दोनो ही से जवाब मांग रही है।

क्योंकि दो दिनो के काली करतूतों की सजा कानून तो दोनों को बाद मे देगा लेकिन जनता का तो पहले ही दिन से सजा भुगतना शुरु हो चुका है। मरीजों को हो रही परेशानी का जवाबदार कौन है। व्यक्तिगत लड़ाई को सार्वजनिक बनाने के लिए राजनीति और गुटबाजी ही फिलहाल नज़र आती है। कौन नहीं जानता सीहोर की कायर राजनीति को वो कुछ भी करिश्मा कर सकती है और उसने यह कर भी दिखाया।

गड़े मुर्दों को उखाड़ने के यह कलाकार पहले भी इसी प्रकार के कई करिश्मे कर चुके हैं।दूसरे के कंधों पर बंदूक चलाने का हुनर तो कोई इनसे सीखे। दो दिन के इस घटनाक्रम के बाद यह बात भी साबित हो गई है कि डाक्टर सांप के काटे का इलाज तो कर सकता है लेकिन राजनीति के काटे का इलाज उसके पास भी नहीं है। डाक्टरों को परोक्ष रुप से राजनीति ने तो प्रत्यक्ष रुप से अहम ने काटा है।

दोनो पक्षों ने इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है जो घौर निंदनीय है। 24 घंटों के दौरान लोगों से हुई चर्चा के बाद जो निष्कर्ष सामने आया है वो यही है कि खरबूजा चाकू पर गिरे या चाकू खरबूजे पर लेकिन कटना तो खरबूजे को ही है। अब देखना यही है कि खरबूजा बनी जनता का कटना कब थमता है।

आज तक का दृश्य कुछ इस प्रकार का भी है कि एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को चाँटा जड़ा तो बदले मे दूसरे ने तीसरे निर्दोष व्यक्ति को चांटा जड़ दिया। अब तीसरे व्यक्ति का एक्शन क्या होगा ये देखने वाली बात है। फिलहाल तो 'मानवता' फर्श पर और 'अहम' अर्श पर नज़र आ रहा है।



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