Breaking News

इस स्कूल में नहीं है पानी,न किचन,टायलेट है मगर ताला लटका हुआ।

राज्य            Jan 11, 2017


उमरिया से सुरेन्द्र त्रिपाठी।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में एक प्राईमरी स्कूल ऐसा भी है जहां लगातार हर साल छात्र संख्या घटती जा रही है, बच्चे पानी को तरसते हैं खाना बनाने को किचन शेड नहीं है, स्कूल के इर्द - गिर्द से वाहन, मवेशी निकलते रहते हैं, 2013 से बनी शाला सुविधा विहीन है।

जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर शासकीय प्राथमिक शाला बेलमना है।सन 2013 में इस भवन में कक्षायें लगना शुरू हुई थीं। शासन स्तर पर यहाँ सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यदि एजुकेशन पोर्टल पर देखें तो यहाँ हैण्ड पम्प, बाउंड्री वाल सब कुछ है, लेकिन जब जमीनी हकीकत देखने पहुँचे तो वहां कुछ और ही नजर आया, देखिये ये बच्चे बोतल अपने पास रख कर बैठे हैं। इन बोतलों को देख कर पहले तो चौंक गए कि जंगल और तीन तरफ से नाले के किनारे बनी इस स्कूल में आखिर ऐसी क्या बात है कि बच्चे बोतल लेकर बैठे हैं।

इइस बारे में जब बच्चों से पूछा गया तो पता चला कि यहाँ तो पानी ही नहीं है, कक्षा 4 के छात्र भरत यादव ने बताया कि पानी पीने बहुत दूर जाना पड़ता है और अगर स्कूल समय में शौच के लिए जाना पड़ गया तो बहुत दूर पानी लेने जाना पड़ता है।कक्षा 5 की छात्राओं कुमारी नंदिनी साहू और नीतू राय ने बताया कि यहाँ हैण्ड पम्प नहीं है बहुत दूर से पानी लाना पड़ता है और टायलेट में ताला इसीलिए लगा है क्योंकि यहां पानी नहीं है।

इस स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी लगातार घट रही है। उपस्थिति रजिस्टर के अनुसार। सन 2013 में यहाँ 102, 2014 में 91, 2015 में 81 और इस वर्ष 75 छात्र रह गये।इस बारे में मौजूद शिक्षक ने बताया कि यहाँ से ट्रेक्टर, जीप सब कुछ निकलते हैं जिससे हर समय दुर्घटना का भय बना रहता है इस कारण अभिभावक अपने बच्चों को नहीं भेजते है कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। इसके अलावा लोक सभा और विधान सभा का स्थाई पोलिंग बूथ है लेकिन जब यहाँ पोलिंग पार्टी आती है तो सरपंच टैंकर खड़ा कर देते हैं, इसके पहले पार्टी खुद आधा किलोमीटर दूर से पानी लाती रही है। इस स्कूल में बिजली आज भी नहीं है।

शिक्षक राम खेलावन द्विवेदी ने बताया कि प्राथमिक शाला बेलमना पहले पुरानी बिल्डिंग में लगता था वहां पेय जल व्यवस्था थी वहां से आधा किलोमीटर दूर यह नया भवन 2013 से संचालित है। यहाँ पानी की व्यवस्था नहीं है, न ही रसोई है और न बाउंड्री है शौचालय बने हैं बिना पानी के शौचालय का कोई उपयोग नहीं है। यहाँ हमने अपने पास से दो हजार रुपये लगा कर और गाँव के सहयोग से लगभग कुल 20 हजार रुपये लगा कर अक्टूबर में बोर करवा लिया है अब हैण्ड पम्प लगना बाकी है। पूर्व कलेक्टर के जी तिवारी से कई बार कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई

इस बारे में गांव के वरिष्ठ नागरिक घनश्याम प्रसाद भट्ट, वार्ड नंबर 5 के पार्षद गोविन्द दास साहू, पूर्व उप सरपंच चन्द्र बली साहू का कहना है कि हम लोग जिला प्रशासन से लेकर मुख्य मंत्री तक आवेदन निवेदन कर चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई एक सप्ताह में हैण्ड पम्प लगाने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ, हम गाँव के लोग आपस में चन्दा करके बोर करवा दिए हैं लेकिन हैण्ड पम्प नहीं लगा है।

घनश्याम भट्ट ने बताया कि स्कूल के बगल से जंगल लगा हुआ है जंगली जानवरों का खतरा बना हुआ है, बारिश के मौसम में पन्नी लगा कर खाना बनाना पड़ता है और बगल से नाले में भी पानी का बहाव रहता है जिससे बच्चों के डूबने का भी खतरा बना रहता है।

किचन शेड और बाउंड्री वाल के मामले में जब जिला समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान अर्थात डी पी सी महेंद्र यादव से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। वहीं जब जिले के कलेक्टर और मिशन संचालक सर्व शिक्षा अभियान अभिषेक सिंह ने 3 दिन के भीतर हैण्ड पम्प लगवाने का आश्वासन दिया है।



इस खबर को शेयर करें


Comments